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________________ ( १५६ ) शंका - कर्मभूमिज कौन कहे गए हैं ? माक्ककि जब कार्य का शुभ संयम का ग्रहण किस प्रकार होगा ? श्री चंद्रप्रभु समाधान -- भरत, ऐरावत तथा विदेहों में विनोत्त अर्थात् आर्य नामक मध्यम खण्ड को छोड़कर शेष पंचखण्डों के निवासी मनुष्य यहां 'अकर्मभूमिज' कहे गए हैं । १ उनमें धर्म-कर्म की प्रवृत्ति संभव होने से प्रकर्मभूमिजपना उपयुक्त है । है, तब वहां • विकर व पाठशाला खामगांव बुलडाणा समाधान-२ दिग्विजय ( दिसा-विजय ) में प्रवृत्त चक्रवर्ती के स्कन्धावार ( कटक ) के साथ जो म्लेच्छ नरेश प्रखण्ड में भा आते हैं, उनके साथ चक्रवर्ती का विवाह का सम्बन्ध हो जाने से संयम को प्रतिपत्ति में बाधा नहीं है । अथवा चक्रवर्ती आदि के द्वारा विवाहित उन म्लेच्छ क्षेत्रोत्पन्न नरेशों की कन्याओं के गर्भ से जो संतान उत्पन्न हुई, वह मातृपक्ष की अपेक्षा यहां प्रकर्मभूमिज पद से विवक्षिकी गई है, अतः कोई बाधा नहीं है । ऐसी संतान को दीक्षा सम्बन्धी योग्यता में कोई बाधा नहीं है १ भररावयविदेहेसु विणोदसणिदमज्झिमखंड मोत्तण सेसपंचखंडनिवासी मणुश्रो एत्थाकम्मभूमिप्रो ति विवक्खिदो, तेसु धम्मकम्मपत्तीए असंभवेण तब्भावोववत्तोदो ( १८०५ ) २ दिसाविजयपट्टी-खंधावारेण सह मज्झिमखंडमागयाणं मिलेच्छरायाणं तत्थ चक्कवट्टी आदिहिं सहजाद वेवाहियसंबंधाणं संजम पडिवत्तीए विरोहाभावादो प्रथवा तत्कन्यकानां चक्रवर्त्यादिपरिणीतानां गर्भेत्पन्न-मातृपक्षापेक्षया स्वयमकर्मभूमिजा इति इह विवक्षितः ततो न किंचित् विप्रतिषिद्ध, तथाजातीयकानां दीक्षाहंत्वे प्रतिषेधाभावात् इति ( १८०५ )
SR No.090249
Book TitleKashaypahud Sutra
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages327
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size7 MB
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