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( १५५ ) २ देशसंयम तथा संयम के प्रतिबंधक पूर्वबद्धकर्मों के अनुदय को उपशामना कहा है । इसके चार भेद हैं 1 ( १ ) प्रकृति उपशामना (२) स्थिति उपशामना ( ३) अनुभाग उपशामना ( ४ ) प्रदेश उपशामना ।
देशसंयम तथा सकल संयम को घातकरते वाली प्रकृतियों को उपशामना को प्रकृति उपशामना कहते हैं। इन्हीं प्रकृतियों को अथवा सभी कर्मों को प्रतःकोडाकोडी सागर से ऊपर की
स्थितियों का उदयाभाव स्थिति उपशामना है। चारित्र के घातक मार्गदर्शक :-कमायों की रिकामीयर तुम्हवानीय अनुभाग के उदयाभाव को
वया उदय में आनेवाली कषायों के सर्वघाती स्पर्धकों के उदयाभाव को अनुभागोपशामना कहा है । उनके देशवाति द्विस्थानीय अनुभाग के उदय का सद्भाव पाया जाता है । अनुदय प्राप्त कषायों के प्रदेशों के उदयाभाव को प्रदेशोपशामना कहा हैं।
२ संजमासंजम-संजमलद्धामो पबिज्जमाणस्स पुन्वबद्धार्ण कम्माणं चारित्तपडिबंधीणमणुदयलक्खणा उवसामणा घेतव्वा ।