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________________ पिपामा" लोभ का पर्यायवाची विद्या शब्द है। विद्या के समान होने से लोभ विद्या है । विद्या जिस प्रकार दुराराध्य अर्थाव कष्टपूर्वक प्राराध्य होती है, उसी प्रकार लोभ भी है, क्योंकि परिग्रह उपार्जन रक्षणादि कार्य में जीव को महान कष्ट उठाने पड़ते हैं । "विद्येव विद्या । क इहोपकार्थः ? दुराराध्यत्वम्" लोभ का पर्यायवाची जिव्हा शब्द भी है, क्योंकि जिस प्रकार जोभ कभी भी तृप्ति को नहीं प्राप्त होती है, उसी प्रकार लोभ की स्थिति है "जिव्हेव जिव्हेत्य-संतोषसाधर्म्यमाश्रित्य लोभपर्यायत्वं वक्तव्यं" (प. १६९१) इस प्रकार लोभ के पर्यायवाची बोस शब्द कहे हैं "एव मेते लोभकषायस्य विंशति-रेकार्थाः पर्यायाः शब्दाः व्याख्याताः" मार्गदर्शक :- आचार्य श्री सुविधिसागर जी महाराज , दिनार .) सामनांग जि. डांगा
SR No.090249
Book TitleKashaypahud Sutra
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages327
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size7 MB
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