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________________ * सभ्यग्मिथ्यात्व की उत्कृष्ट प्रदेशउदोरणा सर्वविशुद्ध तथा सम्यक्त्व के अभिमुख चरमसमयवर्ती सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव के होती है। अनंतानुबंधी कषाय चतुष्टयकी उत्कृष्ट प्रदेशउदोरणा सर्व विशुद्ध और संयम के अभिमुख चरमसमयवर्ती मिथ्यादृष्टि के होती है। अप्रत्याख्यानावरण की उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा सर्वे विशुद्ध अथवा ईषन्मध्यम परिणामवाले तथा संयम के उन्मुख चरमसमयवर्ती असंयत सम्यक्त्वो के होती है। ." प्रत्याख्यानावरण की उत्कृष्ट प्रदेशउदीरणा सर्वविशुद्ध या ईषन्मध्यम परिणामवाले संयमाभिमुख चरमसमयवर्ती देशवती के होती है। “ संज्वलन क्रोध की उत्कृष्ट प्रदेशउदीरणा चरमसमयवर्ती क्रोध का घेदन करने वाले क्षपक की होती है। प्रकार संज्वलन मान मार्गदर्शी र मायावे शिष्माको सानजमावासिन लोभ संज्वलन की उत्कृष्ट प्रदेश-उदोरणा समयाधिकपावलीकाल वाले चरमसमयवर्ती सूक्ष्मसापरायगुणस्थानयुक्त के होती है। स्रीवेद को उत्कृष्ट प्रदेशोदोरणा समयाधिक प्रावलीकाल वाले चरमसमयवर्ती स्रीवेद का वेदन करने वाले क्षपक के होती है। पुरुषवेद की उत्कृष्ट प्रदेशोदीरणा समयाधिक प्रावली काल वाले और घरम समय में पुरुषवेद का वेदन करने वाले क्षपक के होती है। नपुसकवेद की उत्कृष्ट प्रदेश-उदीरणा समयाधिक प्रावली कालवाले चरमसमयवर्ती नपुसकवेद का वेदन करने वाले क्षपक के होती है। __ छह कषायों की उत्कृष्ट प्रदेश उदीरणा प्रपूर्वकरण के अंतिम समय में वर्तमान क्षपक के होती है ।
SR No.090249
Book TitleKashaypahud Sutra
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages327
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size7 MB
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