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१०. लोकानुप्रेक्षा प्रकारेण शरीरं दशदण्डोश्यत्वं १० भवति । ज्योतिष्काः सूर्यचन्द्रप्रहनक्षत्रतारकाः पञ्चविधा ज्योतिष्मदेवाः सप्तधनुर्देहाः सप्तथरासनोत्सेधदेहा भवन्ति ।। १६५॥ वर्गवेयकादिदेवानां बेहोदयमाह
दुग-दुग-च-चदु-दुग-दुग-कप्प-सुराणं सरीर-परिमाणं ।
ससच्छे-पंच-हत्था चाउरो अखडू-हीणा य ॥ १७ ॥ [छाया-द्विकद्विकचतुश्चतुर्तिकहिककल्पसुराणां शरीरपरिमाणम् । सप्तषट्पञ्चहस्ताः चत्वारः अर्धाहीनाः च ॥] विकनिकचतुश्चदकिद्विककल्पसुराणा प्रथमयुगल २ विवीययुगल २ तृतीयचतुर्थयुगल ४ पञ्चमषष्ठयुगल ४ सप्तम २ अष्टमयुगळ २ निवासिदेवानां शरीरप्रमाणं देहोदय यथाक्रम सप्त, षट् ६, पश्च ५, चत्वारो इस्ता ४, अधिद्दीनाब है,३1 तथा सौधर्मशानयोः देवाः सप्तहलोत्सेधशरीराः ७, सनत्कुमारमाहेन्द्रयोदेवाः पर हस्तोदय देहाः इब्राझोतरलान्तयकापिष्ठेषु चतुपु देवाः पचहतोत्सेधारीराः ५, शुक्रमहाशुकशतारसहन्नारकरुपेषु चतूर्षु चतुः करोदयशरीराः ४ । ततश्च अाधहस्तहीनक्रमाः। आनताणतयोः सुराः सार्धत्रिस्वोदयशरीरा भवन्ति । तथा त्रैलोक्यसारे एममायुकं च । "दुसु सु यदु तुसु दुसु चदु सिसिसु सेसेसु देहस्सेहो। रयणीण साल छप्पण चतार दलेण होणकमा ।' द्वयोईयो २ चतुर्यु ४ योयो २ चतुर्ष वित्रिषु । शेषे १४ विति दशसु स्थानेषु देहोत्सेधो यथासंभव सप्त ७ पद'
पश्च ५ चत्वारो ४ रमयः । ततः उपर्यघेहस्तहीनक्रमो शातल्याः । सौ. ई. ह. ५, स. मा. ६, प्र.अ. लो. का. इ. ५, शु. म. इ. ४,सतारसइ.३, आ. प्रा. आ. अच्यु.६,प्र०त्रि,द्वि. त्रि.२,त. त्रि. नवानुदिशपश्चा. नुत्तरदेवशरीराः, हस्त ॥१७. || RRB-12 sajanand ...
की ऊंचाई दस धनुष है । तथा किन्नर, किम्पुरुष, महोरग, गन्धर्व, यक्ष, राक्षस, भूत, पिशाच इन आठ प्रकारके ब्यन्तर देवोंके शरीरकी ऊंचाई भी दस धनुष है । सूर्य, चन्द्रमा, ग्रह, नक्षत्र, तारे इन पांच प्रकारके ज्योतिषी देवोंके शरीरकी ऊंचाई सात धनुष है ॥ १६९॥ अब वैमानिक देवोंके शरीरकी ऊंचाई कहते हैं । अर्थ-दो, दो, चार, चार, दो, दो कल्पोंके निवासी देवोंके शरीरकी ऊंचाई कमसे सात हाथ, छः हाथ, पाँच हाथ, चार हाथ और फिर आधा आधा हाथ हीन है। भावार्थ-प्रथमयुगल, द्वितीययुगल, तृतीय और चतुर्थ युगल, पश्चम और छठे युगल, सातवें युगल, और आठवें युगलके निवासी देवोंके शरीरकी ऊंचाई क्रमसे सात हाथ, छ: हाय, पांच हाय, चार हाथ और आधा आधा हाथ हीन है । अर्थात् सौधर्म और ऐशान वर्गके देवोंका शरीर सात हाय ऊंचा है । सनत्कुमार और माहेन्द्र खर्गके देवोंका शरीर छ: हाय ऊंचा है | ब्रह्म,ब्रह्मोत्तर, लान्तव
और कापिष्ठ स्वर्गमें देवोंका शरीर पांच हाथ ऊंचा है। शुक्र.महाशुक्र, शतार और सहस्रार खर्गमें देवोंका शरीर चार हाय ऊंचा है । आनत प्राणतमें ३॥ हाथका ऊंचा शरीर है और आरण अध्युतमै तीन हाथका ऊंचा शरीर है । त्रिलोकसारमें भी इसी प्रकार (थोड़े मेदसे ) देवोंके शरीरकी ऊंचाई बतलाते हुए लिखा है-दो, दो, चार, दो, दो, चार, सीन, तीन, तीन, और शेषमें शरीरकी ऊंचाई क्रमसे ७ हाथ, छ: हाथ, पांच हाथ, चार हाथ और फिर आधा आधा हाथ कम जानना चाहिये । अर्थात् सौधर्म ईशानमें ७ हाथ, सनत्कुमार माहेन्द्र में छ: हाय, ब्रह्म ब्रह्मोत्तर लान्तक कापिष्टमें पांच हाथ, शुक्र महाशुक्रमे १ हाप, शतार सहस्रारमें ३३ हाथ, आनत प्राणत आरण अच्युतमें ३ हाप, तीन अधोवेयकमें २३ हाथ, तीन मध्यप्रैवेयकमें दो हाथ, तीन उपरिमौवेयकमें १३ हाए और
१ग सत्तवपंच [सत्तापंच !!