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________________ ११० खामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा [गा० १६९३।८ प०, १३६१ अं २३ भा १।९ प०, १४. १९ भा५। १. प०, दे १४ ६३ अं १५ मा । ११ प०, दै १५४ २ अं१२ भा . || तृतीयनरके पटल प्रति नारकाण देहोत्सेधः। १ प.. दं १५ १ अ १. भा ।२ प०, दै १९ ह , अं १ मा ।। ३ ५०, द २०, ह ३, में भा० । ४५०, दै २२ ह २ अं ६ भा । ५५०, २४ ४१ अं५ भा ६१०, २६ है. अं४ भा०।७१०, २७ ४ ३ ॐ २ भा३।८०, दै २९ है २ अंभा । ९५०, दं ३१६१ अं० मा ।। चतुर्थनरके पटल प्रति नाराणा देहोत्सेधः । १ प०,दं ३५ ह २ २. भा २ प.,दै ४. . *१७ भा ।।३५०, ४४ हुअंभा ४५०,६४५६. अं. भा५१०, ५३४ २ अंभाई। प०, ५८ ६. अं३ भा ।७५०, ६२ ह २ अं. भा. ॥ पञ्चमनरके पटल प्रति नारकाण देहोत्सेधः । १ प०, ७५ ह. अ. भा। २५०, ८५ ह२ अं० भा०।६ प०, १०० ६० अं० भा० । ४ ५०, ११२ हर अं०भा०। ५५०,दं १२५ ह. भा०॥ षटनरके पटलं प्रति नारकाणां देहोत्सेधः । ११०,द. १६६ ह२ अं १६ भा०।२५०,२०८११८ भा० । ३ ५०, दं २५० ह. अ. भा.सप्तमे नरके पटल प्रति नारकाणां देहोत्सेधः । १५०, ५.. ह. अ. भा. ॥ १६८ ॥ असुराणं पणवीस सेसं-पव-भावणा य दह-दंडं । वितर-देवाण तहा जोइसिया सत्त-धणु-देहा ॥१६९। [छाया-अमुराणा पञ्चविंशतिः शेषाः नयभाषनाः च दशदण्डाः । भ्यन्तरदेवानां तथा ज्योतिष्काः सप्तधनुर्वेदाः ।।] असुरकुमाराणा प्रथमकुलानां देहोदयः पञ्चविंशतिधषि २५ । सेस-व-भारणा, शेषनवभावनाच नवभवनवासिनो देवाः नवकुलमेदाः। नागकुमार विद्युत्कुमार २ सुपर्णकुमार ३ अभिकुमार ४ वातकुमार ५ स्खनितकुमार ६ उद. विकुमार द्वीपकुमार 4 दिकुमार देवाः ९ नवप्रकारा दशदण्डशरीरोत्सेधा भवन्ति १ । बितरदेवाण व्यन्तरदेवानां किभर १ किंपुरुष २ महोरग ३ गन्धर्व ४ यक्ष ५ राक्षस ६ भूत पिशाचानाम् ८ अष्टप्रकाराण तथा तेनैव है । सो दूसरे नरकके प्रत्येक पटलमें नीचे नीचे इतनी ऊंचाई बढ़ती गई है। तीसरे नरकके अन्तिम पटलमें शरीरकी ऊँचाई ३१ धनुष १ हाथमेंसे दूसरे नरकके अन्तिम पटलकी ऊंचाई १५ धनुष, २ हाथ बारह अंगुटको कम कर देनेसे १५ धनुष, २ हाथ, बारह अंगुल शेष रहते हैं । इसमें पटलोंकी संख्या ९ का भाग देनेसे १ धनुष, २ हाथ २२९ अंगुल हानि वृद्धिका प्रमाण आता है। सो तीसरे नरकके प्रत्येक पटलमें इतनी ऊंचाई नीचे नीचे बढ़ती जाती है। इसी तरह चौथे नरक के प्रत्येक पटलमें हानि वृद्धिका प्रमाण ४ धनुष, १ हाथ २०४ अंगुल है । पांचवे में १२ धनुष, २ हाथ है। और छठे में ४१ धनुष, २ हाथ, १६ अंगुल है । सातवें नरकमें तो एक ही पटल है अतः छठे नरकके अन्तिम पटलमें शरीरकी उचाई २५० धनुषमें २५० की वृद्धि होनेसे सातवें नरककी ऊंचाई आजाती है । इस प्रकार प्रत्येक नरकके प्रत्येक पटल में शरीरकी ऊंचाई जाननी चाहिये । जैसा कि ऊपर दिये नकशेसे स्पष्ट होता है || १६८ ॥ अब देवोंके शरीरकी ऊंचाई बतलाते हैं । अर्थ-भवनवासियोंमें असुरकुमारोंके शरीरकी ऊंचाई पच्चीस धनुष है और शेष नौ कुमारोंकी दस धनुष है । तथा व्यन्तर देवोंके शरीरकी ऊंचाई भी दस धनुष है, और ज्योतिषी देवोंके शरीरकी ऊंचाई सात धनुष है । भावार्थ-भवनवासियोंके प्रथम भेद असुरकुमारों के शरीरकी ऊंचाई पच्चीस धनुष है । और शेष नागकुमार, विद्युत्कुमार, सुपर्णकुमार अग्निकुमार, वातकुमार, स्तनितकुमार, उदधिकुमार, द्वीपकुमार, दिक्कुमार इन नौ प्रकारके भवनवासी देवोंके शरीर गोयसिया।
SR No.090248
Book TitleKartikeyanupreksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumar Swami
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year
Total Pages589
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size19 MB
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