SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 223
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -१६८] १०. लोकानुप्रेक्षा १०९ षष्ठादिनरकेषु शरीरोत्सेवेन अर्थार्धमानाः भवन्ति । तत्र षष्ठे नरके मघव्यां नारकाः साद्विशतचापोत्तमाः स्युः २५० पञ्चमे नरके रिष्टायां पश्वविंशत्यधिकशतशरासनोत्सेधशरीराः नारकाः भवन्ति १२५ । चतुर्थे नरके अशनाय सार्धपष्टिचा पोत्तुङ्गाः नारकाः सन्ति १३५ तृतीयनरके मेघायां सपादैकत्रिंशश्रापोत्सेधशरीराः नारकाः, धनुः ३१ इस १ । द्वितीये नरके वंशाय सार्धपापा द्वादशाङ्गुलाधिकाः शरीरोन्तुना नारकाः स्युः, धनु १५, हस्त २, अकुल १२ । प्रथमे नरके साधु नारा अवधि, धनुः ७, दस्ताः ३, भकुलाः ६ ॥ तथा त्रैलोक्यसारे पटलं प्रति नारकाणां शरीरोत्सेधः । उतं च "पढमे सप्त ति उदयं धणु स्यणि अंगुलं सेसे । गुणक्रमं परियमितियं आण द्वाणिचयं ॥" प्रथमपृथिव्याश्वरमपटले सप्त ७त्रि ३ षठ्ठे ६ उदयः धनुरन्येगुलानि । द्वितीयाविपृथिन्याश्वरमपदले द्विगुणकम् । प्रथम पृथिव्याः प्रथमेन्द्र के इस्तत्रियम् । एतद्धृत्वा हानिचर्य जानीहि । बावी अंतविसेसे रूकणद्धा हिदम्हि हाणिवयं प्रथमे नरके हानिचयं ख २, अकुल ८ भाग १, द्वितीये हस्त २ अङ्गुलः २० भाग, तृतीये दण्ड १ इस २ अङ्गुल २२ भाग चतुर्थे दण्ड ४ १ अकुल २० भाग पचमे दण्ड १२ व २ षछेद ४१ हस्त २ अङ्गुल १६, सप्तमे दण्ड २५० । इति हानिचयम् ॥ प्रथमनर के पटनं २ प्रति नारकाणां देहोत्सेधः । १५०, ६० ह ३ अं० मा ० २५०, ६१ ६ १ ८ मा ३ | ३० दं १६३ १७ मा ०। ४० १ इ २ १ मा ५१०, ३६ ० अ १० भा३ । ६ ५०, ३६२ १८ मा ३ । ७प०, ९५०, ६ ५ ई ४ ६ १ ३ भा० । ८ प०, ४३ अं ११ । ४ भा३।११ ५० ६ ६ ६२ अं १३ मा १२० ७ ६ भा० ॥ द्वितीयनरके पटलं २ प्रति नारकाणां वेद्दोत्सेधः । १प०, २२ मा ४३५०, ९६३ ५० ६ ११६ १ १० मा १६ । ६ १०, १२ ६० ६ १ ९ १८ मा ११ १ अं २० भा० । १० प०, ० अ २१ मा ३ । १३१० ६ ७ ८ इ २ अं २ मा १२१० ४५०, ६ १० ६ २ अं १४ मा ६ । ७१० १२ ६ ३ ३ भा ७ मा धनुष होती है। और सातवें नरकसे ऊपर ऊपर शरीरकी ऊँचाई आधी आधी होती जाती है। अतः मघवी नामक छठे नरकमें शरीरकी ऊँचाई अदाईसौ धनुष है। अरिष्टा नामके पांचवे नरकमें शरीर की ऊंचाई एकसो पचीस धनुष है। अंजना नामक चौथे नरकमें सादे बासठ धनुष है । मेघा नामके तीसरे नरकमें नारकियोंके शरीर की ऊंचाई सवा इकतीस धनुष है। वंशा नामके दूसरे नरक में नारकियोंके शरीरकी ऊंचाई १५ धनुष, २ हाथ, १२ अंगुल है। और धर्मा नामके प्रथम नरक में नारकियोंके शरीरकी ऊंचाई ७ धनुष, ३ हाथ, ६ अंगुल है । त्रिलोकसार नामक ग्रन्थ में प्रत्येक पटल में नारकियोंके शरीरकी ऊंचाई बतलाई है जो इस प्रकार है-प्रथम नरकके अन्तिम पटलमें ७ धनुष, ३ हाथ, ६ मंगुल ऊंचाई है। दूसरे आदि नरकोंके अन्तिम पलमें दूनी दूनी ऊंचाई पटलोंमें हानि वृद्धि जाननेके है । तथा प्रथम नरकके प्रथम पटलमें तीन हाथ ऊंचाई है। आगे लिये अन्तिम पटलकी ऊंचाईमें प्रथम पटलकी ऊंचाई घटाकर जो शेष रहे उसमें प्रथम नरकके पटलोंकी संख्या में एक कम करके उसका भाग दे देना चाहिये । सो ७-३-६ में ३ दाथको घटानेसे ७ धनु, ६ मं० शेष बचते हैं। इसमें प्रथम नरकके कुल पटल १३ में एक कम करके १२ का भाग देने से २ हाथ, ८३ अंगुल हानि वृद्धिका प्रमाण आता है । अर्थात् प्रथम नरकके दूसरे आदि पटलोंमें शरीर की ऊंचाई २ हाथ, ८३ अंगुल बढती जाती हैं। इसी तरह दूसरे नरकके अन्तिम पटलमें शरीर की ऊंचाई १५ धनुष, २ हाथ, बारह अंगुल है । इसमेंसे प्रथम नरकके अन्तिम पटल में जो शरीरकी ऊंचाई है उसे घटानेसे ७ धनुष, ३ हाथ, ६ अंगुल शेष रहते हैं । इसमें दूसरे नरक पटलोंकी संख्या ११ का भाग देनेसे वृद्धि हानिका प्रमाण २ हाथ २० I अंगुल आता
SR No.090248
Book TitleKartikeyanupreksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumar Swami
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year
Total Pages589
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy