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There are five types of Karmavipak Rasa Karma and their characteristics are as follows: (1) Tiktarasa, (2) Katurasa, (3) Kshayarasa, (4) Amla Rasa, (5) Madhura Rasa.
(1) The Karma whose fruition makes the body-fluid of the Jiva taste like ginger or black pepper is called Tiktarasa Karma.
(2) The Karma whose fruition makes the body-fluid of the Jiva taste like Chirayata or Neem is called Katurasa Karma.
(3) The Karma whose fruition makes the body-fluid of the Jiva taste like Amla or Baheda is called Kshayarasa Karma.
(4) The Karma whose fruition makes the body-fluid of the Jiva taste like lemon or tamarind is called Amla Rasa Karma.
(5) The Karma whose fruition makes the body-fluid of the Jiva taste like Mishri or other sweet substances is called Madhura Rasa Karma.
There are eight types of Sparsha Karma and their characteristics are as follows: (1) Guru, (2) Laghu, (3) Mridu, (4) Khara, (5) Sheet, (6) Ushna, (7) Snigdha, and (8) Rooksha. Each should be combined with the word Sparsha Karma.
(1) The Karma whose fruition makes the body of the Jiva feel heavy like iron is called Guru Sparsha Karma.
(2) The Karma whose fruition makes the body of the Jiva feel light like cotton is called Laghu Sparsha Karma.
(3) The Karma whose fruition makes the body of the Jiva feel soft like butter is called Mridu Sparsha Karma.
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कर्मविपाक रसनामकर्म के पांच भेद और उनके लक्षण इस प्रकार हैं--(१) तिक्तरस, (२) कटु रस, (३) कषायरस, (४) अम्लरस, (५) मधुररस ।
(१) जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर-रस सोंठ या काली मिर्च जैसा चरपरा हो, उसे तिक्तरसनामकर्म कहते हैं।
(२) जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर-रस चिरायता, नीम जंसा कटु हो, उसे कटुरसनामकर्म कहते हैं।
(६} जिस कर्म के उदय मे जीव का शरीर-रस आंवला, बहेड़ा जैसा कसला हो, वह कषायरसनामकर्म है ।
(४) जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर-रस नीबू, इमली जैसे खट्टे पदार्थों जैसा हो, वह अम्लरसनामकर्म कहा जाता है ।
(२) जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर-रस मिश्री आदि मीठे पदार्थों जैसा हो, उसे मधुर-रसनामकर्म कहते हैं ।
स्पर्शनामकर्म के आठ भेद और उनके लक्षण क्रमशः इस प्रकार हैं
(१) गुरु, (२) लघु, (३) मदु, (४) खर, (५) शीत, (६) उष्ण, (७) स्निग्ध और (८) रूक्ष । प्रत्येक के साथ स्पर्श नामकर्म जोड़ लेना चाहिए ।
(१) जिस कम के उदय से जीव का शरीर लोहे जैसा भारी हो, वह गुरुस्पर्शनामकर्म है।
(२) जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर आक की रुई जैसा हल्का हो, वह लघुस्पर्शनामकर्म है ।
(३) जिस कर्म के उदय स जीव का शरीर मक्खन जैसा कोमल हो, वह मृदुस्पर्शनामकर्म है।