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________________ [184 श्री कल्याणमन्दिरस्तोत्र सार्थ उलोक १२--कदलीफन की माला लेकर, उत्तर की घोर मुख करके, रंग विरंगी लूगी के ग्रासन पर बैठ कर 21 दिन तक प्रतिदिन 108 वार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा निर्धम अग्नि में लवंग, कपूर, चन्दन, इलायची, शिलारस और घृत मिथित धूप मपण करे / पद्मावती देवी की मूर्ति का कम्मल रंग के वस्त्राभूषगों से शृङ्गार करे / / 42 / / दनोंक ४३--काले रंग के सूत की माला लकर प्राग्नेय की ओर मुख करके, काले कम्बल के आसन पर बैठ कर श्रद्धापूर्वक 14 दिन तक प्रतिदिन 1000 वार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा निर्धम अग्नि में चन्दन. गुगल और लालमिर्च मिश्रित धूप क्षेषण करे // 4 // सोपा ४४--मु को मान। लंकार, पूर्व को पोर मुख करके लाल रंग के पासन पर बैठ कर श्रद्धापूवरे 40 दिन तक प्रतिदिन 1000 बार ऋद्धि-मत्र का जाप जपे लथा निर्धम अग्नि में कस्तूरी, चन्दन, शिलारस और कपूर मिश्रित धूप क्षेपण करे / एकाशन एवं भूमिशयन करे और यंत्र पास रखे / 44 / / अन्य समाप्ति मुद्रक
SR No.090236
Book TitleKalyanmandir Stotra
Original Sutra AuthorKumudchandra Acharya
AuthorKamalkumar Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages180
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size2 MB
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