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यंत्र मन्त्र ऋद्धि पूजन आदि सहित १७६ १००० बार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा निर्धूम अग्नि में गूगल मावा (खोवा) चन्दन और घृत मिश्रित धूप क्षेपण करे ॥१६॥
श्लोक १७-स्फटिकमणि की माला लेकर, नेऋण्य की ओर मुख करके, मफेद प्रासन पर बैठ कर श्रद्धासहित १४ दिन तक प्रतिदिन १००० बार ऋद्धि मंत्र का जाप जपे और निर्धम अग्नि में चन्दन, कपूर, इलायची तथा अत मिश्रित धूप पण करे । यंत्र पास रखे ॥१७!! ____ श्लोक १८–चन्दन की माला लेकर. अाग्नेय की योर मुख करके, काले रंग के मासन पर बैठ कर सुद्दढ़ मन से दिन तक प्रतिदिन १०८ वार ऋद्धि-मत्र का जाप जपे तथा निधूम अग्नि में गूगल और कुदरू मिश्रित धूप क्षेपण करे ।।१८।।
श्लोक १८ - चन्दन की माला लेकर, नैऋत्य की ओर मुख करके, हरे रम के प्रासन पर बैठ कर श्रद्धासहित ५ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तया प्रज्वलित निर्धूम अग्नि में चन्दन, अगर और घृत मिश्रित धूप क्षेपण करे।
श्लोक २०- रुद्राक्ष की माला लेकर, ईशान की भोर भूख करके एकान्त निर्जन स्थान में जोगिया (भगवां) रग के मासन पर बैठ कर श्रद्धापूर्वक ४६ दिन तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि-मत्र का जाप जपे तथा निर्धूम अग्नि में गुगल और राहर मिभित धूप क्षेपण करे ॥२०॥
श्लोक २१-तुलसी की माला लकर. बायम्प की ओर मुख करके काम के प्रासन पर बैठकर भद्धासहित १४ दिन तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तपा निघूम पग्नि में गूगल, छाइ छबीला और घृत मिश्रित घप क्षेपण करे ॥२१॥
क्लोक २२–तुलसी की माला लेकर, नैऋत्य की मोर मुख