SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 174
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७८ ] श्री कल्याणमंदिरातोत्र सार्थ श्लोक ११- सफेद चन्दन की माला लेकर, ईशान की ओर मुख करके, सफेद पासन पर बैठ कर १९ दिन तक प्रतिदिन स्थिरभाव से १००० बार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा चन्दन, नागरमोथा, कपूरकचरी और धूत मिश्रित धूप खेवे ॥११॥ __श्लोक १२-स्फटिकमणि को माला लेकर, नैऋत्य की ओर मुख करके, सफेद प्रासन पर बैठ कर ७ दिन तक प्रतिदिन एकाग्रचित्त से १०८ बार ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तथा निर्धूम मग्नि में गरी, कपुर, गुगल और घत मिधिन धुप क्षेपण करे ।।१२॥ ___श्लोक १३--जायफल की माला लेकर, पश्चिम की प्रोस मुख करके, लाल रंग के प्रासन पर बैठकर भावसहित २७ दिन शप निदिन १०:५ आर सि गा मा या जपे तथा निधूम अग्नि में गूगल. चन्दन और घृत मिथित धूप क्षेपण करे ॥१३॥ सोक १४–रीठा की माला लेकर. दक्षिण को प्रोर मुख करके, काले रंग के आसन पर बैठ कर निश्चिन्त मन से मुल नक्षत्र से हस्त नक्षत्र पर्यन्त २५ दिन तक प्रतिदिन १००० वार ऋद्धि मंत्र का जाप जपे तथा निर्धम अग्नि में गूगल, लानमिर्च, गरी और नमक मिश्रित धूप क्षेपण करे ॥१४॥ लोक १५--लाल सूत को माला लेकर, उत्तर की ओर मुल करके, हरे रंग के पासन पर बैठ कर १४ दिन तक प्रतिदिन निश्चल मन से ऋद्धि-मंत्र का जाप जपे तया नि म मग्नि में कुदरू और गूगल मिश्रित धूम क्षेपण करे ।।१|| श्लोक १६ - स्फटिकमणि की माला लेकर, वायव्य की मोर मुख करके, सफेद आसन पर बैठकर ७ दिन तक प्रतिदिन
SR No.090236
Book TitleKalyanmandir Stotra
Original Sutra AuthorKumudchandra Acharya
AuthorKamalkumar Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages180
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy