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यंत्र मंत्र ऋद्धि पूजन प्रादि सहित
जयन्ति वा निजगिरा नन् पक्षिणोऽपि
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न मो भग
मः स्वाहा
जाता नदेवमसमीक्षितकारितेयं
ये योगिनामपि न यान्ति गुणास्तवेश।
'क्षा भी प्रों हो
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श्लोक ६ ऋद्धि-ॐ ह्रीं प्रहं णमो पुसइच्छी (स्थि?) कराए। मंत्र-ॐ नमो भगवते ह्रीं श्री ब्रां श्रीं क्षां भी प्रो हौं
नमः ( स्वाहा। गुण-सन्तति और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
फल-उज्जयिनी नगरी में प्रसिद्ध हेमदस श्रष्ठी ने एक मुनि के उपदेश से वृद्धावस्था में षष्ठ काव्यसहित उक्त मत्र को पाराधना से पुत्ररत्ल को प्राप्त किया था।