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यन्त्र, मंत्र, गुण वा फस विवरण
ETीश्वरस्य कमास्यकलोसम्यहमेश्य दिव्य मरुनधनकीयो
पाय म्वर्य मुरगुरुगरिमाम्धुराशेः स्तोत्रंसुविस्तृत निर्मविभुनिभनुम् ।
कल्याणमेदित्मदाम्पयदि ताभयपदनिन्दिनपहि पद्मम ।
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श्लोक,२ ऋद्धि-ॐ ह्रीं महं णमो पासं पास पास फण।
ॐ ह्रीं ग्रह णमो दचकराए। मत्र-नमो भगवते अभीप्सितकामंसिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ।
गुण-इस फद्धिमंत्र के प्रभाव तथा श्री पाश्वनाथ स्वामी के प्रसाद से लक्ष्मी (धन) का लाभ एवं मनोवांछित कार्य सिद्ध होते हैं। ___फल-प्रथम द्वितीय श्लोक सहित ऋद्धि-मंत्र की भावपूर्वक प्रारापना से भद्दलपुर (भेलसा-विदिशा) के अत्यन्त भद्र परिणामी सुभद्र श्रेष्ठी के मनोभिलषित (इष्ट कार्यों) की सिद्धि हुई थी।