SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * जिनसहस्रनाम टीका - २००१ भूख, प्यास, भीति, द्वेष, चिन्ता, अज्ञता, प्रीति, वृद्धावस्था, रोग, मरण, क्रोध, पसीना, गर्व, रति, आश्चर्य जन्म, निद्रा और विषाद ये अठारह दोष त्रैलोक्य के सर्वप्राणियों के साधारण रहते हैं। परन्तु इन दोषों से रहित जो है वह जिनेश्वर आप्त है और वही सब उत्तम वचनों का हेतु है तथा केवलज्ञान रूपी नेत्र का धारक है। जिसने आत्मा, श्रुतज्ञान, जीवादिक तत्त्व और मुक्ति का कारण ऐसा चारित्र, उसका विरोध रहित उपदेश दिया है वह आप्त है, ऐसा: सज्जनों ने माना है। वा यथार्थ वक्ता होने से आप आप्त हैं। वागीश्वरः = वाचा वाणीनामीश्वरो वागीश्वर:- भगवान, वचन के वाणी के, ईश्वर हैं। अतः वागीश्वर हैं। श्रेयान् = प्रकृष्टः प्रशस्यः श्रेयान् प्रशस्य स्पृष्टः- भगवान जीवों का उत्तम कल्याण करने वाले हैं। वा कल्याण स्वरूप होने से श्रेयान् हैं। श्रायसोक्तिः = श्रेयो निःश्रेयसं तदधिकृत्यकृतः। श्रायसी 'देवीकाशिसपादीर्घ-सश्रेयसामा' इत्येकारस्याकारः। श्रायसी उक्ति: वाणी यस्येति श्रायसोक्तिः प्रशस्तवागित्यर्थ := कल्याण स्वरूप वाणी युक्त होने से, श्रायसोक्ति हैं अर्थात् आपके वचन प्रशस्त हैं, हितकारी हैं। निरुक्तवाक् = निरुक्तानि चिंतावाक् वचनं यस्य स निरुक्तवाक् = पूर्वापर दोष रहित युक्तियुक्त वचन जिनके ऐसे प्रभु निरुक्तवाक् हैं। वा सार्थ वचनयुक्त होने से भी निरुक्तवाक् हैं। प्रवक्ता वचसामीशो मारजिद्विश्वभाववित् । सुतनुस्तनुनिर्मुक्त: सुगतोहतदुर्नयः॥७।। श्रीश: श्रीश्रितपादाब्जो वीतभीरभयंकरः। उत्सन्नदोषो निर्विघ्नो निश्चलो लोकवत्सलः ॥८॥ अर्थ : प्रवक्ता, वचशामीश, मारजित्, विश्वभाववित्, सुतनु, तनुनिर्मुक्त, सुगत, हतदुर्नय, श्रीश, श्रीश्रितपादाब्ज, वीतभी, अभयंकर, उत्सन्नदोष, निर्विघ्न, निश्चल, लोकवत्सल ये १६ सार्थक नाम प्रभु के हैं। टीका- प्रवक्ता - प्रकर्षेण वक्तीति प्रवक्ता - प्रभु उत्कृष्ट वक्ता हैं।
SR No.090231
Book TitleJinsahastranamstotram
Original Sutra AuthorJinsenacharya
AuthorPramila Jain
PublisherDigambar Jain Madhyalok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy