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परम पूज्य १०५ श्री गणिनी आ० विजयामती माताजी संध
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विराजे हुए (बायें से दायें) १०५ सु० श्री विजय प्रभा, १०५ ० श्री जय प्रभः १०५ श्री आ० व्रह्ममती माताज एवं १०५ श्री गणिनी आ० विदुषीरत्न विजयामती माताजी ।
30 नई बस बाजे, म० पद्मप्रभा ट
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