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Fact श्रेष्ठिनः पुत्री विमलस्यैकापरा प्रभो । सिंहलेशस्य विद्याश्चक्रिरणो दुहितापरा ।। १० ।।
हे नरेश ! और सुनिये, आपके नगर श्रेष्ठी की अनुपम लावण्यवती गुणवती कन्या विमला मेरो प्रथम पत्नी है । द्वितीय सिंहल द्वीप के नरेश की पुत्री और तीसरी चक्रवर्ती विद्याधर नृप की पुत्री मेरी पत्नियाँ हैं ।। १ 11
एता तिस्रोऽपि मद्भार्या स्तिष्ठन्ति जिन वेश्मनि । मवीय सङ्ग मोत्कण्ठाकुलिताः कुल केतवः ॥
११ ॥
ये तीनों मेरी भार्या इस समय श्री जिनालय में उपस्थित हैं । मेरे संगम के लिए तीनों उत्कण्ठित हैं। कुल की ध्वजा स्वरूप मेरे मिलन के लिए प्राकुलित हो रहीं हैं ।। ११ ।।
विपदां सम्पदा देव भाजनो भवता मया । अधुना प्राप्तविधेन क्रीडेति बहुधा कृताः ।। १२ ।।
ये तीनों मेरी विपदा और संपदा में समान भागी हैं, इस समय में विद्यायल से रूप परिवर्तित किये हूँ यह मात्र कोड़ा है ।। १२ ।।
तवतं ततो ज्ञात्वाहूता स्ताः पृथिवी भुजा । तिस्रोऽपि नायिकास्ताश्च प्राप्ताः कञ्चुभिः समम् ।।
१३ ।।
इस प्रकार कुमार के कथन से उसके अभिप्राय को राजा समझ गया और तत्काल उसने उन्हें लाने के लिए कञ्चुकी को भेज दिया । यथा योग्य सम्मान पूर्वक वे तीनों पत्नियां उस कञ्चुकी के साथ श्रा उपस्थित हुयीं ।। १३ ।।
अत्रोपदिश्यतां पुत्र्यः स्वामिना भणिता इति । प्ररणभ्यो पाविशन्नन्ते विनोतास्ता यथाक्रमम् ।। १४ ।।
उन्हें प्रायो देख राजा ने स्नेह पूर्वक कहा है पुत्रियो ! यहाँ विराजिये । नृपति की प्राज्ञानुसार वे विनय पूर्वक क्रमानुसार राजा को प्रणाम कर बैठ गयीं ।। १४ ।।
उक्त ततो नरेन्द्रन महासस्यो वचत्ययम् । एतास्तिस्रोऽपि मद्भार्याः सत्यमेवं मृषा किमु ।। १५ ।।
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