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जिनदत्त चरित्र
। ( श्री १०८ प्राचार्य गुएशभद्रस्वामी विरचित)
(ग्रन्थ ७)
अनुवादिका। श्री १०५ गणिनी आयिका रत्न विदूषी सम्यग्ज्ञान शिरोमणी सिद्धान्त विशारद, धर्म प्रभाविका,
थी विजयामती माताजी ( श्री १०८ प्राचार्य महावीर कीतिजी परम्पराय )
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