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________________ २.४ पठवड = प्रेषित किया - १३२, पणीत = प्रनि- ५०७, पठाइ = भेजना - २ पन = -- ३६२, पड़ = पट-चित्रपट - १०५ पन - पास- २०४: पड़इ = गिरकर - ६२, २२६, २४२, पताका - - १६२, पताल = पासाल- २४३, पड़तत्र = पड़ने पर - ४६५, पतालहि - पाताल- ३६७, पडयं = देना - ३३७, पतिवारु = विश्वास- ३०३, परहि -२४६, पत्ति - पत्नी-५५, पडही = पटही (वाजा) - ३०, पतीजह = विश्वांस- ३६९, पडाइ = गिर पडा - ३४०, पद = -५२०, पढाइरइ ५ ....... - २६१, पदमरिण - पपिनी- १०२, २७४, पडि = चित्रपट - १०४, १०६, पदमावती = 'पद्मावती देवी - १७, पडिउ = परना - ७६, १३४, १३६, ! ३........ आदि, पदारथ = वस्तु (रत्न)- ८६, पद्धिगाहि = ......... - ५३१, पडित्पड़ती = गिराकर - १५७, | पदार्थ = -१३, २८६, पष्टिमाइ = प्रतिमा - ५२३, पदोले = मजबूत-- १७०, पडियउ = पड़ा - २०५, पन्न = - २८९, पडिहार = प्रतिहारी- ४६७, पभणइ = कहने लगा- ४७०, पडिहार :- ........... - ४६८, पभणेइ ८ , - १३३, पड़ी = गिरी - ३१, ५५, ४२७, पभावि - , - १६॥ पड़ : चित्रपट - ............ गभग हि = ॥ - २६३, पड़े में पड़ना -- ४०८, पमाए - प्रमारण- २४, पड़ए = पढ़ने के लिये - ६३, १२६, ! पमाणु = प्रमारण- २६०, ५५०, ५५३, मत = पढ़ते हुये - ६५, पमुह = पय - पद, चरंगग- ८, १४, १५, पढिजन = नहीं पढ़ा है - २०, १६३, ५२४, ५३०, पणवइ = प्रणाम करते हैं- १५, १६, | पयड़ - प्रकट- ६०, पणवाउ = प्रणाम करता-३, २५, | पयडतह = प्रतिपादित करना- २१, पणम उ = प्रणाम करता हूं-११, १२, | | पयईप्ति = प्रकट करती है-२८०, परगसइ = । पयत्थु -- पदस्थ- ५२९ पगाठी = नष्ट करमा- ३२३, पयदल = पैदल- ४५२, २
SR No.090229
Book TitleJindutta Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
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