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________________ से वागत होती हैं जो पाठकों में नायक के ओवन के प्रति उत्सुकता बनाये रखती हैं। ऐसे रोमाञ्चरु कथा-वाव्यों में श्रीमल, रत्नचूड, जिनदत्त, नागकुमार, भविष्यदत्त, करकंडु, सनत्कुमार, घन्यकुमार, रत्न शेखर, जीवन्धर, प्रद्य म्न अादि विशिष्ट महापुरुषों के जीवर पर प्रापपरित काव्य उल्लेखनीय हैं। ये काव्य प्रायः उपर्युक्त सभी भाषा में मिलते हैं । इन पुण्य पुरुषों के जीवन में घटने बाली प्रमुख घटनायें निम्न प्रकार हैं : श्रीपाल ___ सिद्धचक्र पूजा के माहात्म्य को प्रकट करने के लिये श्रीपाल के जीवन का स्मरस्प किया जाता है। उसके जीवन में मर्व प्रथम कुष्ठ रोग पीड़ा की घटना प्रपती है जिसके कारण उसे राज्य-मार छोड़कर अंगल की शरण लेनी पड़ती है । इसी बीच उसका राजकुमरसे मैनासुन्दरी से विवाह हो जाता है पाप-पुण्य के अनुसार सुख-दुल्न की प्राप्ति होती है इस सिद्धान्त पर मटान रहने के कारण वह अपने पिला की कोप भाजन बनती है । मनासुन्दरी अपनी पतिभक्ति एवं सिद्धचक्र पूजा के प्रभाव से श्रीपाल एवं उसके साथियों का कुष्ठ दूर करती है । श्रीपाल को नया जीवन मिलता है और वह मश एवं सम्पत्ति सर्जन के लिये विदेश जाता है वहाँ उमका कितनी ही राजकुमारियों के साथ विवाह होता है, लेकिन धवन सेठ के द्वास समुद्र में गिराया जाना, अपने बाहुबल से उसे तैर कर पार करना, राजकुमारी के साथ विवाह होने के समय अपने विरोधियों के कुपत्रों से झूली का प्रदेश मिलना, पुनः दैवी सहायता से उसरों मी बन जरना एवं राजकुमारी के साथ विवाह होना अादि घटनायें उसके जीवन में इस प्रकार आती हैं, इसमे परक यह कल्पना भी नहीं कर सकता कि भविष्प में नायक के जीवन में फोन सी विपत्ति एवं सम्पत्ति प्राने वाली है । श्रीपाल के जीवन की कथा जैन समाज में बहुत प्रिय है। रत्नचूल रस्मन्ड कमलसेन राजा का पुत्र था । उसका जीवन भी अनेक रोगा सत्रह
SR No.090229
Book TitleJindutta Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
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