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हरण स्वरूप रख कर पाठकों में किसी एक व्रत विशेष को पालने का उपदेश दिया जाता है । ऐसी कथामों में अनन्त व्रत कथा, अष्टाह्निकाप्रत कथा, रोहिगीवत कथा दशलक्षणत कथा, द्वादशवत कथा, रनियत कथा, मेघनत कथा, पुष्पांजलिव्रत कथा. सुगन्धदशमीयत कथा, मुक्तावलियत कथा, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । (२) जीवन कथायें
कुछ ऐसी लघु अथवा वृहद् कथायें हैं जिनमें किसी व्यक्ति विशेष के जीवन का वर्णन रहता है। इसके अतिरिक्त कुछ सामाजिक अथवा घटनाप्रघान कथायें भी लिखी जाती रही हैं । अठारह नाता था तथा रक्षाबंधन कथा कुछ ऐसी ही कथा कुतियाँ है। तीर्थकर, प्राचार्य, अथवा व्यक्ति-विशेप से सम्बन्धित कथानों में ज्येष्ठ जिनवर कया, अकलंक देव कथा, अंजन चोर कथा, चन्दनमलयागिरि कश्रा, धर्म बुद्धि पाप बुद्धि कथा, नागधी कथा, निशिभोजन कथा एवं शील कया आदि के नाम उल्लेखनीय है । ये ऋघायें भी जीधन के लिये प्रेरणादायक सिद्ध हुई हैं।
(३) रोमाञ्चक कथा साहित्य--
तीसरी प्रकार की वे कथायें हैं जो किसी श्रावक एवं मुनि विशेष के जीवन पर आधारित रहती हैं और उनमें नायक के जीवन का माद्योपान्त वर्णन रहता है। इनमें अधिकांश कथायें रोमाञ्चक होती हैं जिनमें नायक द्वारा प्राध्चर्यजनक कार्यों को सम्पन्न किया जाता है । इसके जीवन का कभी उत्थान होता है तो कभी उसका मार्ग संकटों से प्रवरुन दिखाई देने लगता है लेकिन नायक अपनी विशिष्ट योग्यता एवं माहम से उन्हें पार करके पाठकों की प्रशंसा का पात्र बनता है और पुण्य की महिमा का यशोगान किया जाने लगता है। ऐसी कामों में नायक का एक से अधिक विवाह, सिंहल-यात्रा, वन में अकेले भ्रमण करके किसनी ही अलौकिक विद्याओं को प्राप्त करना, उन्मत्तगज. को वश में करना, अपनी विद्यानों का प्रदर्शन करना आदि घटनायें मुख्य रूप
सोलह