SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जयधवलासहिदे कसायपाहुहे [ चारित्तक्खवणा किं पुण कारणमेदासिमणुभागस्स छवड्ढि-हाणि-अवट्ठिदसरूवेण उदयसंभवो जादो त्ति चे ? ण, भवपच्चइयत्तेण विसोहि-संकिलेसणिरवेक्खाणमेदासिं विसेसपच्चयमस्सियण तहाभावसिद्धीए विरोहाभावादो। * केवलणाणावरणीयं केवलदसणावरणीयं च अणंतगुणहीणं वेदयदि । ६ ७८ कुदो? सुहपरिणामेणेदेसिमणुभागोदयस्स अणतगुणहाणि-णियमदंसणादो। * सेसं चउव्विहं णाणावरणीय जदि सव्वघादि वेदयदि णियमा अणंतगुणहीणं वेदयदि। ___ * अध देसधादिं वेदयदि, एत्थ छविहाए वढीए छब्धिहाए हाणीए भजिदव्वं । * एवं चेव दसणावरणीयस्स ज सव्वघादि वेदयदि तं णियमा प्रणंत-गुणहीणं । * जं देसघादिं वेदयदि तं छविहाए वड्ढीए छविहाए हाणीए भजियव्वं । प्रकारकी वृद्धि, छह प्रकारकी हानि और अवस्थितरूपसे वेदन करता है, यह इस सूत्रका अर्थ है। शंका-इन भवप्रत्यय प्रकृतियोंके अनुभागका छह प्रकारको वृद्धि, छह प्रकारकी हानि और अवस्थितरूपसे उदय किस कारणसे सम्भव है ? समाधान-नहीं, क्योंकि भवप्रत्ययपनेके कारण विशुद्धि और संक्लेशसे निरपेक्ष इन प्रकृतियोंके विशेष प्रत्ययका आश्रय करके उस प्रकारके भावकी सिद्धिमें विरोधका अभाव है। * केवलज्ञानावरण और केवलदर्शनावरणको अनन्तगुणहीनरूपसे वेदता है। ६ ७८ क्योंकि शुभपरिणाम होनेके कारण इन प्रकृतियोंके अनुभागके उदयका अनन्तगुणहानिरूपसे नियम देखा जाता है। * शेष चार प्रकारके ज्ञानावरणीयको यदि सर्वघातिरूपसे वेदन करता है तो नियमसे अनन्तगुणहीनरूपसे वेदन करता है । * अब यदि देशघातिरूपसे वेदन करता है तो इस विषयमें छह प्रकारकी वृद्धि और छह प्रकारकी हानिकी अपेक्षा भजनीय है। * इसी प्रकार दर्शनावरणीयका यदि सर्वघातिरूपसे वेदन करता है तो नियम से अनन्तगुणहीनरूपसे वेदन करता है । ___* यदि देशघातिरूपसे वेदन करता है तो नियमसे छह प्रकारको वृद्धि और छह प्रकारकी हानिकी अपेक्षा भजनीय है।
SR No.090228
Book TitleKasaypahudam Part 16
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages282
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy