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________________ खवगसेढोए अट्टममूलगाहाए चउत्थभासगाहा १८७ * जाओ ताओ अविरहिदविदीओ ताओ एगसमयपबद्धसेसएण अविरहिदाओ थोवाओ । अणेगाणं समयपवद्धाणं सेसएण अविरहिदाओ असंखेज्जगुणाओ । पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्ताणं समयपबद्धाणं सेसएण अविरहिदायी असंखेजा भागा। ६४९५. एदस्स सुत्तस्स अत्यो वुच्चदे। तं जहा-'जाओ ताओ अविरहिदट्टिदोओ' एवं भणिदे जाओ अणंतरमेव णिहिट्ठाओ समयपबद्धसेसएणाविरहिदाओ सामणद्विदीओ तासिमेसा थोवबहुत्तपरिक्खा अहिकीरदि त्ति वुत्तं होइ । ताओ एगसमयपबद्धसेसएण अविरहिदाओ थोवाओ एवं भणि वासवृधत्तमत्तट्रिदोस जाओ एगसमयपबद्धसेसएणाविरहिदाओ दिदीओ आवलिर असंखेज्जदिभागपमाणादो होदूण उवरिमवियप्पपडिबद्धटिदिविसेसेहितो थोवाओ त्ति भणिदं होइ। 'अणेयाणं समयपबद्धाणं सेसएण अविरहिदाओ असंखेज्जगुणाओ' एवं भणिदे दो-तिणिआदि जाव संखेज्जाणमसंखेज्जाणं वा समयपबद्धाणं सेसयेणाविरहिदविदीओ हेट्ठिमरासि पेक्खियणासंरोजगुणाओ त्ति णिद्दिष्टुं होइ। ण च तत्तो एदासिमसंखेज्जगुणत्तमसिद्ध; एपवियप्पपडिबद्धट्रिदिविसेसहितो अणेयवियप्पपडिबद्धाणमेदासिमसंखेज्जगुणत्तसिद्धीए णिव्वाहमुबलं भादो। को गुणगारो? आवलियाए असंखेज्जदिभागो। 'पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्ताणं असंखेज्जाभागा' एवं भणिदे पालिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्ताणं समयपबद्धाणं सेसएहिं अविरहिदाओ द्विदीओ वासपुधत्तमेत्तीणं सयलसामण्णट्ठिदीणमसंखेज्जदिभागमेत्ता होति । सेसासेसहेट्रिमवियप्पपडिबद्धसामण्णदिदीओ पुण आवलियाए असंखेज्जदिभागपमाणं होण सयलसामण्ण * जो समयप्रबद्धशेषसे संयुक्त स्थितियों कह आये हैं वे एक समयप्रबद्धशेषसे संयुक्त स्थितियां सबसे थोड़ी हैं। उनसे अनेक समयप्रबद्धशेषसे संयुक्त स्थितियों असंख्यातगुणी हैं। उनमें पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण समयप्रबद्धशेषसे संयुक्त स्थितियाँ असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं। 5 ४९५. अब इस सूत्रका अर्थ कहते हैं। वह जैसे-'जालो ताओ अविरहिददिदोओ' ऐसा कहनेपर जो अनन्तर पूर्व ही समयप्रबद्धशेषसे संयुक सामान्य स्थितियां कह आये हैं उनके यह अल्पबहुत्वकी परीक्षा प्रकृतमें अधिकृत है यह उक्त कथनका तात्पर्य है। 'वे एक समयप्रबन. शेषसे संयुक्त स्थितियां थोड़ी हैं' ऐसा कहनेपर वर्षपृथक्त्वप्रमाण स्थितियोंमें जो एक समयप्रबनशेषसे संयक्त स्थितियां हैं वे आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण होकर आगेके विकल्पसे प्रतिबद्ध स्थितिविशेषोंकी अपेक्षा स्तोक हैं यह उक्त कथनका तात्पर्य है। उनसे 'अनेक समयप्रबद्धशेषसे संयुक्त स्थितियां असंख्यातगुणो हैं' ऐसा कहनेपर दो, तीन आदि स्थितियोंसे लेकर क्रमसे संख्यात या असंख्यात समयप्रबद्धोंके शेषसे युक्त स्थितियां अधस्तन राशिको देखते हुए असंख्यातगुणी हैं ऐसा इस सूत्रमें निर्देश किया गया है। पहलेको स्थितियोंसे इनका असंख्यातगुणापना असिद्ध नहीं है, क्योंकि एक विकल्पसे सम्बद्ध स्थितिविशेषों की अपेक्षा अनेक विकल्पोंसे सम्बद्ध इनके असंख्यातगुणपनेको सिद्धि निर्बाधरूपसे उपलब्ध होती है। शंका-यहाँपर गुणकार क्या है ? समाधान-यहाँपर आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। 'पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्ताणं. असंखेज्जाभागा' ऐसा कहनेपर पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण समयप्रबद्धोंके शेषोंसे संयुक्त स्थितियां वर्षपृथक्त्वमात्र समस्त सामान्य स्थितियोंके असंख्यात बहुभागप्रमाण होती हैं। परन्तु शेष समस्त अधस्तन विकल्पोंसे प्रतिबद्ध
SR No.090227
Book TitleKasaypahudam Part 15
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages390
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size38 MB
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