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________________ taaraढी अणियट्टिकरणे देसघादिकरणपरूवणा २०३ भोगंतराइयाणमणुभागो बंधेण देसघादी जादो । * तदो ट्ठिदिखंडय पुधत्तेण चक्खुदंसणावरणीयस्स अणुभागो बंधेण देसघादी जादो । * तदो ट्ठिदिखंडयपुघत्तेण आभिणिबोहियणाणावरणीय- परिभोगंतराइयाणमणुभागो बंधेण देसघादी जादो । * तदो द्विदिखंडयपुधत्तेण वीरियंतराइयस्स अणुभागो बंधेण देसघादी जादो । $ १२० किं कारणमेदेसिं कम्माणं देसघादिकरणस्स एवंविहो कमणियमो जादो ति णासंकणिज्जं, अणुभागथोवबहुत्तपरिवाडिमस्सियूण तहाविहकमपवृत्तीए विरोहाभावादो | * तदो ट्ठिदिखंडयसहस्सेसु गदेसु अण्णं ट्ठिदिखंडयमण्णमणुभागखंडयमण्णो द्विदिबंधो अंतरद्विदीओ च उक्कीरिदु चत्तारि वि एदाणि करणाणि समगमाढत्तो कालं कोदु । $ १२१. तदो बारसपयडीणं देसघादिकरणादो संखेज्जसहस्समेत्तेसु हिदिवरणीय और भोगान्तराय कर्म बन्धकी अपेक्षा देशघाति हो जाते हैं । * तत्पश्चात् स्थितिकाण्डकपृथक्त्व के द्वारा चक्षुदर्शनावरणीयका अनुभाग बन्धकी अपेक्षा देशघाति हो जाता है । * तत्पश्चात् स्थितिकाण्ड कपृथक्त्वके द्वारा आमिनिबोधिकज्ञानावरणीय और परिभोगान्तराय कर्मोंका अनुभाग बन्धकी अपेक्षा देशघाति हो जाता है । * तत्पश्चात् स्थितिकाण्डकपृथक्त्वके द्वारा वीर्यान्तरायकर्मका अनुभाग बन्धकी अपेक्षा देशघाति हो जाता है । $ १२०. शंका – इन कर्मोंके देशघातिकरणके इस प्रकारके क्रमका नियम किस कारण जाता है ? समाधान – ऐसी आशंका नहीं करनी चाहिये, क्योंकि अनुभाग के अल्पबहुत्वसम्बन्धी परिपाटीका आलम्बन लेकर उसे प्रकारसे उनके क्रमसे प्रवृत्ति होनेमें विरोधका अभाव है । * तत्पश्चात् हजारों स्थितिकाण्डकोंके व्यतीत होनेपर अन्य स्थितिकाण्डक, अन्य अनुभागकाण्डक, अन्य स्थितिबन्ध और अन्तरस्थितियोंको उत्कीरित करने के लिये कालको मुख्य करके इन चारों ही करणोंको एक साथ आरम्भ करता है । $ १२१. वारह प्रकृतियोंके देशघातिकरणके अनन्तर संख्यात हजार स्थितिकाण्डकों के १. ताडपत्रीयप्रती - ' माढत्तो कालं काढूण' इति सूत्रांश : संल्लक्ष्यते । अन्यत्र लोपलभ्यते ।
SR No.090226
Book TitleKasaypahudam Part 14
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages442
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size40 MB
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