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________________ १३६ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे $३३६. कुदो ? ओदरमाणसुहुमसांपराइयपढमसमयजहण्णद्विदिबंधस्स तत्तो दुगुणत्तोवलंभादो। * अंतोमुहुत्तो संखेजगुणो। $३३७. कुदो ? समयणमुहुत्तपमाणत्तादो। अंतदीवयभावेणहेडिमासेसपदाणमंतोमुहुत्तभावपदुप्पायणडमेदमेत्थ मणिदमिदि घेत्तव्वं । * उवसामगस्स जहण्णगो णामागोवाणं ठिदिवंधो संखेजगुणो । 5 ३३८. कुदो ? सोहसमुहुत्तपमाणत्तादो।। * वेदणीयस्स जहण्णगो द्विदिषधी विसेसाहिओ। $ ३३९. सोलसमुहुत्तपमाणत्तादो पुग्विन्लादो चउवीसमुहत्तपमाणस्सेदस्स विसेसाहियत्तसिद्धीए विसंवादाभावादो। * पडिवदमाणगस्स णामागोदाणं जहण्णगो ठिदिवंधो विसेसाहिओ। 5 ३४०. कुदो ? बत्तीसमुहुत्तपमाणत्तादो। * तस्सेव वेदणीयस्स जहण्णगो हिदिबंधो विसेसाहिओ। ६३४१. कुदो ? अट्ठदालीसमुहुत्तपमाणत्तादो । * उवसामगस्स मायासंजलणस्स जहण्णष्टिदिबंधो मासो । 5 ३३६. क्योंकि उतरनेवाले सूक्ष्मसाम्परायिकके प्रथम समयमें होनेवाला स्थितिबन्ध पूर्व स्थानके स्थितिबन्धसे दुगुणा उपलब्ध होता है । * अन्तमुहूर्त संख्यातगुणा है। $३३७. क्योंकि इसका प्रमाण एक समय कम एक अन्तर्मुहूर्त है। अन्तदीपकरूपसे अधस्तन समस्त पद अन्तमुहूर्तप्रमाण हैं इस बातका कथन करनेके लिये इस सूत्रका यहाँपर निर्देश किया है ऐसा यहाँ ग्रहण करना चाहिये। * उपशामक जीवके नाम और गोत्र कर्मका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। ६३३८. क्योंकि उसका प्रमाण सोलह मुहूर्त है। * वेदनीयकर्मका जघन्य स्थितिवन्ध विशेष अधिक है। $ ३३९. पूर्वके सोलह मुहूर्तप्रमाण स्थितिबन्धसे इसके चौबीस मुहूर्तप्रमाण स्थितिबन्धके विशेष अधिकरूपसे सिद्ध होने में विसंवाद नहीं पाया जाता। * गिरनेवाले जीवके नाम ओर गोत्रकर्मका जघन्य स्थितिबन्ध णिशेष अधिक है। $ ३४०. क्योंकि वह बत्तीस मुहूर्तप्रमाण है। * उसीके वेदनीयकर्मका जघन्य स्थितिवन्ध विशेष अधिक है। $ ३४१. क्योंकि वह अड़तालीस मुहूर्तप्रमाण है। * उपशामकके मायासंज्वलनका जघन्य स्थितिबन्ध एक मास है।
SR No.090226
Book TitleKasaypahudam Part 14
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages442
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size40 MB
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