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उवसमसेढीए अप्पाबहुपरूवणा
१३५ * उक्कसिया आवाहा संखेनगुणा ।
$ ३३२. एसा सव्वकम्माणं पि ओदरमाणापुव्वकरणचरिमसमये अंतोकोडाकोडिमेत्तद्विदिबंधस्स तप्पाओग्गंतोमुहुत्तपमाणा गहेयन्वा ।।
* उवसामगस्स मोहणीयस्स जहण्णगो हिदिबंधो संखेनगुणो ।
३३३. एसो अंतोमुहुत्तपमाणो अणियट्टिउवसामगचरिमसमये घेत्तव्यो । * पडिवदमाणयस्स मोहणीयस्स जहण्णओ ठिदिबंधो संखेजगुणो ।
३३४, एसो वि अंतोमुहुत्तपमाणो चेव, किंतु ओदरमाणाणियट्ठिपढमसमये पुग्विन्लादो दुगुणमेत्तो भवदि तदो संखेज्जगुणो। .. ___* उवसामगस्स गाणावरण-दसणावरण-अंतराइयाणं जहण्णहिदिबंधो संखेनगुणो।
३३५. चडमाणसुहुमसांपराइयचरिमसमये एदेसि जहण्णद्विदिबंधो घेत्तव्यो। कथमेदस्स पुन्विल्लादो संखेज्जगुणत्तं ? ण, मोहणीयस्सेव सेसघादिकम्माणं द्विदिबंधो, मरणवसेण सुटु घादासंभवादो ।
* एदेसिं चेव कम्माणं पडिवदमाणयस्स जहण्णगो ठिदिबंधो संखेजगुणो। संख्यातगुणे स्थानको बिताकर स्थित है, यह इसी सूत्रसे जाना जाता है।
* उत्कृष्ट आवाधा संख्यातगुणी है।।
$ ३३२. उतरनेवाले जीवके अपूर्वकरणके अन्तिम समयमें सब कर्मोंकी अन्तःकोडाकोड़ीप्रमाण स्थितिबन्धको तत्प्रायोग्य अन्तर्मुहूर्तप्रमाण यह लेनी चाहिये ।
* उपशामकके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है।
$ ३३३. अन्तमुहूर्तप्रमाण यह स्थितिबन्ध अनिवृत्तिकरण उपशामकके अन्तिम समयमें लेना चाहिये।
* गिरनेवाले जीवके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है।
$ ३३४. यह भी अन्तमुहूर्तप्रमाण ही है, किन्तु उतरनेवाले अनिवृत्तिकरणके प्रथम समयमें प्राप्त होकर पूर्वके स्थानसे दुगुणा है, इसलिए संख्यातगुणा है।
___ * उपशामकके ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तराय कर्मोंका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है।
३३५. चढ़नेवाले जीवके सूक्ष्मसाम्परायके अन्तिम समयमें इन कर्मोंका जघन्य स्थितिवन्ध लेना चाहिये।
शंका-यह पूर्व स्थानके कालसे संख्यातगुणा कैसे हैं ?
समाधान-नहीं, क्योंकि शेष घातिकर्मोंका स्थितिबन्ध मोहनीय कर्मके समान ही है, क्योंकि मरणके कारण उसका अच्छी तरह घात नहीं होता।
* गिरनेवाले जीवके इन्हीं कर्मोंका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है।