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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
* तस्सेव लोभस्स गुणसेढिणिक्खेवो विसेसाहिओ ।
$ २९० किं कारणं ? परिवदमाणओ सुहुमसांपराइओ सगद्धादो आवलियमेण भहियं काढूण लोभसंजलणस्स गुणसेडिणिक्खेवं करेदि तेण कारणेणावलियमेतं पविसियूणेत्थ विसेसाहियत्तं जादं ।
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* उवसामगस्स सुहुमसांपराइयद्धा किट्टीणमुवसामणद्धा सुहुमसांप इस्स पढमट्ठिी च तिण्णि विं तुल्लाओ विसेसाहिया
।
$ २९१. किं कारणं १ ओदरमाणद्धादो चडमाणद्धाए सव्वत्थ विसेसाहियभावेणवाणन्वगमादो । एत्थ विसेसपमाणमंतोमुहुत्त मिदि घेत्तव्वं ।
* उवसामगस्स किट्टीकरणद्धा विसेसाहिया ।
$ २९२. एसो चडमाणयस्स लोभवेदगद्धाए तिविदियभागो । ण चेदस्स सुमसां पराद्धादो विसेसाहिय भावो असिद्धो, उवरिमद्धाहिंतो हेट्टिमाद्वाणं विसेसाहियभावेणावद्वाणदंसणादो ।
* पडिवदमाणगस्स बादरसांपराइयस्स लोभवेदगद्धा संखेजगुणा | $ २९३ किं कारणं १ पुव्विल्लो एगतिभागमेत्तों, इमे पुण वेत्तिभागा तेण संखेज्जगुणा जादा । जइ वि एत्थत्तणविदियतिभागादो चडमाणस्स विदियतिभागो
* उसीके लोभका गुणश्रेणिनिक्षेप विशेष अधिक है ।
$ २९०. क्योंकि गिरनेवाला सूक्ष्मसाम्परायिक जीव अपने कालसे एक आवलिमात्र अधिक करके लोभसंज्वलनका गुणश्र णिनिक्षेप करता है इस कारणसे यहाँ मात्र एक आवलिकालका प्रवेश कराकर यह काल विशेष अधिक हो गया है ।
* उपशामकका सूक्ष्मसाम्परायिककाल, कृष्टियोंके उपशमानेका काल और सूक्ष्मसाम्परायिककी प्रथम स्थिति ये तीनों समान होकर विशेष अधिक हैं ।
$ २९१. क्योंकि श्र ेणिसे उतरनेवालेके कालसे चढ़नेवालेके कालका सर्वत्र विशेष अधिकरूपसे अवस्थान देखा जाता है । यहाँपर विशेष अधिकका प्रमाण अन्तर्मुहूर्तमात्र ग्रहण करना चाहिये ।
* उपशामकका कृष्टिकरणकाल विशेष अधिक है
६ २९२. यह काल चढ़नेवालेके लोभवेदककालके तीन भागों में से द्वितीय भागप्रमाण है । और यह सूक्ष्मसाम्परायिकके कालसे विशेष अधिक है यह असिद्ध भी नहीं है, क्योंकि उपरिम कालोंसे अधस्तन कालोंका विशेष अधिकरूपसे अवस्थान देखा जाता है ।
गिरनेवाले सूक्ष्मसाम्परायिकका लोभवेदककाल संख्यातगुणा है ।
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$ २९३ . क्योंकि पहलेका काल एक त्रिभागमात्र है और ये दो त्रिभागप्रमाण है, इस कारण
से यह काल संख्यातगुणा हो गया है । यद्यपि यहाँके द्वितीय त्रिभागसे चढ़नेवालेका द्वितीय त्रिभाग