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विषय-सूची दर्शनमोहक्षपणा अर्थाधिकार
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विषय.
विषय. मंगलाचरण
| दूसरी सूत्र गाथाके अनुसार प्ररूपणा १७ दर्शनमोहक्षपणाके विषयमें पाँच सूत्रगाथाओं- | तीसरी , , , के सर्वप्रथम कहनेकी सूचना
१ चौथो , प्रथम सूत्रगाथा
२ अपूर्वकरणमें दो जीवोंके स्थिति सत्कर्म और। इसके अन्तर्गत तीर्थंकर केवली, सामान्य
स्थितिकाण्डकके सदश और विशेषाधिक केवली और श्रुतकेवलीके पादमूलमें
होनेका सकारण निर्देश उक्त सम्यक्वकी प्राप्तिका सकारण एक अपेक्षा दूसरेके संख्यातगुणे होनेका निर्देश
सकारण निर्देश क्षायिकसम्यकत्वका निष्ठापक कौन होता है। दोनेके स्थिति सत्कर्मके तुल्य होनेका इसका खुलासा
___सकारण निर्देश द्वितीय सूत्रगाथा
| पुनः प्रकारान्तरसे दो जीवोंके एकको सूत्रगाथामें मिच्छत्तवेदणीयपदसे मिथ्यात्व अपेक्षा दूसरेके स्थितिसत्कर्मके स्तोक
और सम्यग्मिथ्यात्व दोनोंका ग्रहण होने और संख्यातगुणे होनेका सकारण किया गया है इसका खुलासा . ५ |
निर्देश तृतीय सूत्रगाथा
७ | अपूर्वकरणके प्रथम समयमें किसके स्थितिगाथामें आये हुए 'सिया' पदका स्पष्टीकरण ८ ___ काण्डकका क्या प्रमाण होता है इसका चतुर्थ सूत्रगाथा
खुलासा पञ्चम सूत्रगाथा
वहीं स्थिति बन्धापसरणका प्रमाणनिर्देश ३२ उक्त सूत्रगाथाओंका निर्देश करनेके बाद
वहीं अनुभागकाण्डकका प्रमाणनिर्देश ३२ कुन दिपयके स्पष्टीकरणको प्रतिज्ञा १
यहाँ गुणश्रेणि किस प्रकारकी होती है। असंयतसम्यग्दपि आदि चार गुणस्थानोंमें
इसका निर्देश दर्शनमादायको क्षपणा स्थिति ओर अपूर्वकरणके द्वितीय समयमें स्थितिकाण्डक अनुमा को अशा किस विधिसे होती . आदिका विचार है इसका खुलासा
एक स्थितिकाण्डकके काल में हजारों अनुउक्त क्षपणाके लिए तीन प्रकारके करण
भागकाण्डक होते हैं परन्तु एक स्थितिपरिणामोंका निर्देश
काण्डक तथा स्थितिबन्धका काल उक्त तीनों करणोंके लक्षण दर्शनमोहके
समान है इसका निर्देश उपशामकके समान जानने की सूचना १५ | प्रथमस्थितिकाण्कसे आगेके सब स्थितिकाण्डक अधःप्रवृत्तकरणके अन्तिम समयमें जिन चार उत्तरोत्तर विशेषहीन होते हैं ३६
गाथाओंका कथन करना चाहिए उनकी | उक्त विधिसे प्रथम स्थितिकाण्डकसे अपूर्वउल्लेखपूर्वक सूचना
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करणके कालके भीतर संख्यातगुणा उक्त चार सूत्रगाथाएँ चारित्रमोहक्षपणामें
हीन भी स्थितिकाण्डक होता है ३६ अन्तदीपकभावसे निबद्ध हैं इत्यादि पर्वकरणके काल में सब स्थितिकाण्डक विषयका विशेष खुलासा
संख्यात हजार होते हैं ।
३७ उक्त चार सूत्र गाथाओंमेंसे प्रथम सत्र | जहाँ एक स्थितिकाण्डक उत्कीरणकाल गाथाके अनुसार प्ररूपणा
१६ समाप्त होता है वहाँ उस सम्बन्धी
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