________________
११५ ]
* तेसिं वेष उक्कस्सिया विसेसाहिबा ।
* पढमसमयसंजदमाविं कादूण जं कालमेयंताणुबडीए बदि एसा अद्धा संखेज्जगुणा |
गुणा
* अपुव्वकरणद्धा संखेज्जगुणा । * जहण्णिया संजमद्धा संखेज्जगुणा । * गुणसेढिणिक्खेवो संखेज्जगुणो ।
गुणा
* जहण्णिया आबाहा संखेजगुणा ।
* उक्कस्सिया आबाहा संखेज्जगुणा |
* जहण्णयं ट्ठिदिखंडयमसंखेज्जगुणं ।
संजदस्स संभवपदाणमप्पाबहुअं
* अपुव्वकरणस्स पढमसमए जहण्णट्ठिदिखंडयं संखेज्जगुणं । * पलिदोवमं संखेज्जगुणं ।
* उनसे उन्हींके उत्कृष्ट काल विशेष अधिक हैं ।
* उनसे संयत होनेके प्रथम समयसे लेकर जिस कालमें एकान्तानुषृद्धिसे बढ़ता है वह काल संख्यातगुणा है ।
* उससे अपूर्वकरणका काल संख्यातगुणा है । * उससे जघन्य संयमकाल संख्यातगुणा है । * उससे गुणश्रेणिनिक्षेप संख्यातगुणा है । * उससे जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है।
* उससे उत्कृष्ट आबाधा संख्यातगुणी है ।
* उससे जघन्य स्थितिकाण्डक असंख्यातगुणा है ।
* उससे अपूर्वकरणके प्रथम समयमें प्राप्त जघन्य स्थितिकाण्डक संख्यात
है
* पढमस्स ट्ठिदिखंडयस्स विसेसो सागरोवमपुधत्तं संखेज्जगुणं ।
* जहण्णओ ट्ठिदिबंधो संखेज्जगुणो ।
* उक्कस्सओ ट्ठिदिबंधो संखेज्जगुणो ।
1
है
१६९
* उससे पल्योपम संख्यातगुणा है ।
* उससे प्रथम स्थितिकाण्डकका सागरोपमपृथक्त्व प्रमाण विशेष संख्यात
1
* उससे जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है ।
* उससे उत्कृष्ट स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है ।
२२