________________
जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ संजमासंजमलद्धी ७५. जो संजदासंजदो सव्वविसुद्धो होदूण संजमाहिमुहो जादो, तस्सचरिमसमयसंजदासंजदस्स उक्कस्सिया संजमासंजमलद्धी होइ त्ति सामित्तसंबंधो । कुदो एदिस्से उकस्सत्तमिदि चे ? ण, संजमाहिमुहस्स' समयं पडि अणंतगुणाए विसोहीए विसुज्झमाणस्स दुचरिमसमए उदिण्णकसायाणुभागफद्दएहितो अणंतगुणहीणचरिमसमयोदिण्णफद्दयजणिदचरिमविसोहीए सव्वुक्कस्सभावं पडि विरोहाभावादो।
* जहणिया लद्धी कस्स ? $ ७६. सुगमं । * तप्पाओग्गसंकिलिहस्स से काले मिच्छत्तं गाहिदि त्ति ।
$ ७७. जो संजदासंजदो कसायाणं तिव्वाणुभागोदएण संकिलिट्ठो होण से काले मिच्छत्तं गाहिदि त्ति अवविदो, तस्स चरिमसमयसंजदासंजदस्स जहणिया संजमासंजमलद्धी होइ, कसायाणं तिव्वाणुभागोदयजणिदसंकिलेसाणुविद्धाए तत्थतणलद्धीए सव्वजहण्णभावं पडि विरोहाणुवलंभादो।
७५. जो संयतासयत सर्वविशुद्ध होकर संयमके अभिमुख हुआ है, अन्तिम समयवर्ती उस संयतासंयतके उत्कृष्ट संयमासंयमलब्धि होती है इसप्रकार स्वामित्वविषयक सम्बन्ध है।
शंका-इस संयमासंयमलब्धिको उत्कृष्टपना कैसे है ?
समाधान नहीं, क्योंकि प्रतिसमय अनन्तगुणी विशुद्धिसे विशुद्ध होनेवाले संयमके अभिमुख हुए जीवके द्विचरम समयमें उदीर्ण हुए कषायोंसम्बन्धी अनुभागस्पर्द्धकोंसे अनन्तगुणे हीन अन्तिम समयसम्बन्धी उदीर्ण हुए स्पर्धकोंसे उत्पन्न हुई अन्तिम विशुद्धिके सर्वोत्कृष्टपनेके प्रति विरोधका अभाव है।
* जघन्य संयमासंयमलब्धि किसके होती है ? ६७६. यह सूत्र सुगम है।
* जो अनन्तर समयमें मिथ्यात्वको प्राप्त होगा ऐसे तत्प्रायोग्य संक्लेशपरिणामवाले संयतासंयतके होती है ।
$ ७७. जो संयतासंयत जीव कषायोंके तीव्र अनुभागके उदयसे संक्लिष्ट होकर अनन्तर समयमें मिथ्यात्वको प्राप्त करेगा, इसप्रकार अवस्थित है उस अन्तिम समयवर्ती संयतासंयतके जघन्य संयमासंयमलब्धि होती है, क्योंकि कषायोंके तीव्र अनुभागके उदयसे उत्पन्न हुए संक्लेशसे ओतप्रोत उक्त लब्धिके सबसे जघन्यपनेके प्रति विरोध नहीं पाया जाता।
१. ता०प्रती ण [ संजमा ] संजमाहिमुहस्स इति पाठः ।