________________
सिरि-जइवसहाइरियविरइय-चुण्णिसुत्तसमण्णिदं सिरि-भगवंतगुणहरभडारोवइटें
कसायपाहुडं
तस्स
सिरि-वीरसेरणाइरियविरइया टीका
जयधवला
तत्थ संजमासंजमे त्ति अणियोगद्दारं
-*:
बारसमो अत्थाहियारो उवणेउ मंगलं वो भवियजणा जिणवरस्स कमकमलजुअं ।
झस-कुलिस-कलस-सत्थिय-ससंक-संख-कुसादिलक्खणभरियं ॥१॥ * देसविरदे त्ति अणियोगद्दारे एया सुत्तगाहा । ६१. देसविरदे त्ति जमणिओगदारं कसायपाहुडस्स पण्हारसण्हमत्थाहियाराणं
जो मछली, वज्र, कलश, स्वस्तिक, चन्द्रमा, शंख और कुश आदि लक्षण चिन्होंसे युक्त हैं वे जिनदेवके चरणकमलयुगल हम भव्यजनोंको मंगलके कर्ता हों ॥१॥
* देशविरति इस अनुयोगद्वारमें एक सूत्रगाथा है । ६१. संयमासंयमलब्धिकी प्ररूपणाके कारण देशविरत यह संज्ञा प्राप्त करनेवाला जो १४