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१६२ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[चउहाणं ८ त्ति वुत्तं । एत्थ अग्गसदो समुदायत्थवाचओ, अणुभागसमूहो अणुभागग्गं वग्गणासमूहो वग्गणग्गमिदि । अधवा अणुभागो चेव अणुभागग्गं, वग्गणाओ चेव वग्गणग्गमिदि घेत्तव्वं । तेण लदासमाणमाणस्स सव्वाविभागपलिच्छेदपिंडादो दारुअसमाणसव्वाविभागपलिच्छेदकलायो अहिओ होदि । लदासमाणसव्यवग्गणसमूहादो वि दारुअसमाणसव्ववग्गणसमूहो अहिओ होइ । एवमट्टि-सेलसमाणाणं पि वत्तव्यगिदि सुत्तत्थसब्भावो । संपहि केत्तिएण ते अहिया, किं गुणेण, आहो विसेसेणे त्ति आसंकाए इदमाह 'गुणेणे त्ति' । एदेण विसेसाहियत्तं पडिसिद्धं दट्ठव्वं । तत्थ किं संखेज्जगुणेण, किमसंखेज्जगुणेण, किं वा अणंतगुणेणे त्ति आसंकाए णिराकरणमिदं बुत्तं 'णियमा' णिच्छएणाणतगुणव्भहिया एदे जहाकम होति ति । एत्थ दोवारं णियमसदुच्चारणं किं फलमिदि चे बुच्चदे-लदासमाणट्ठाणादो सेसाणं जहाकममणुभागरग्गणग्गेहिं अहियत्तमेत्तावहारणफलो पढमो णियमसदो । विदियो वि तेसिमणंतगुणअहियत्तमेव, ण विसेसाहियत्तं, णावि संखेज्जासंखेज्जगुणब्भहियत्तमिदि अवहारणफला । एवं पुव्बिन्लदो-सुत्तेसु उपरिमाणंतरे सुत्ते च णियमसच्चारणाए सहलत्तं वक्खाणेयव्यं ।
२१. अयं पुनरत्र वाक्यार्थ:-लदासमाणजहण्णवग्गणाविभागपलिच्छेदेहितो दारुअसमाणजहण्णवग्गणाविभागपलिच्छेदा अणंतगुणा। लदासभाणविदियवग्गणाकहा है । यहाँपर 'अग्र' शब्द समुदायरूप अर्थका वाचक है। तदनुसार अनुभागसमूहका नाम अनुभागान और वर्गणासमूहको नाम वर्गणाग्र हुआ। अथवा अनुभागका ही नाम अनुभागाग्र है और वर्गणाओंका नाम ही वर्गणाम है ऐसा ग्रहण करना चाहिए। तदनुसार लताके समान मानके समस्त अविभागप्रतिच्छेदपिण्डसे दारुके समान सब अविभागप्रतिच्छेदपिण्ड अधिक है । इसीप्रकार लताके समान सब वर्गणासमूह से भी दारुके समान सब वर्गणासमूह अधिक है। इसी प्रकार अस्थि और शैलसमान अनुभागस्थानों और वर्गणासमूहोंके विषयमें भी कथन करना चाहिये । इस प्रकार यह इस सूत्रका अर्थ है। अब वे अनुभागस्थान कितनी मात्रा अधिक है, क्या गुणकाररूपसे अधिक हैं या विशेषरूपसे अधिक हैं ऐसी आशंका होनेपर 'गणेण' यह वचन कहा है। इससे विशेष अधिक हैं इसका निषेध जानना चाहिए। वहाँ क्या वे संख्यातगुणे अधिक है, क्या असंख्यातगुणे अधिक हैं या क्या अनन्तगणे अधिक हैं ऐसी आशंका होनेपर निराकरण करनेके लिए 'णियमा निश्चयसे ये यथाक्रम अनन्तगुणे अधिक है यह कहा है।
शंका-यहाँपर सूत्र में दोबार 'नियम' शब्दके उच्चारणका क्या फल है ? समाधान-कहते --ताके समान स्थानसे होप दारु आदिके अनुभागसमूह और वर्गणासमूह इन दोनों की अपेक्षा यथाक्रम अधिक होते हैं इस बातका अवधारण करना प्रथम नियम शलाके हेनेका फल है। दूसरे भी 'लियम' शब्दका में स्थान अनन्तगुणे ही हैं, विशेष अधिक नहीं हैं और न संख्यातशुणे या असंख्यातगुणे अधिक हैं इस बातका निश्चय करना फल है । इस प्रकार पिछले दो सूत्रोंमें और आगेके समनन्तर सूत्र में 'नियम' शब्दके उच्चारणकी सफलताका व्याख्यान करना चाहिए।
$ २१. यहाँपर पूरे कथनका यह तात्पर्य है-लताके समान जघन्य वर्गणाले अविभागप्रतिच्छेदोंसे दारुके समान जघन्य वर्गाके अविभागप्रतिच्छेद अनन्तगुणे हैं। लताके समान