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___जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ उवजोगो७ * तं जहा। $ १८२. सुगमं ।
* संतपरूवणा दव्वपमाणं खेत्तपमाणं फोसणं कालो अंतरं भागाभागो अप्पाबहुगं च।
६१८३. एवमेदाणि अट्ठ अणिओगद्दाराणि एदीए गाहाए सूचिदाणि ति वुत्तं होइ । संपहि एदस्स गाहासत्तस्स कदमम्मि अवयवे कदममणिओगद्दारं पडिबद्धमिदि एदस्स जाणावणमुवरिमं पबंधमाह
* केवडिगा उवजुत्ता त्ति दव्वपमाणाणुगमो ।
६ १८४. एम्मि गाहापढमावयवे दव्वपमाणाणुगमो पडिबद्धो त्ति भणिदं होइ, कोहादिकसायेसु उवजुत्ता जीवा केवडिया होति ति पुच्छामुहेणेत्थ तस्स पडिबद्धत्तदंसणादो।
* सरिसीसु च वग्गणा-कसाएसुत्ति कालाणुगमो ।
$ १८५. एदम्मि गाहासुत्तविदियावयवे कालाणुगमो णिबद्धो त्ति भणिदं होदि । कथमेत्थ कालाणुगमस्स णिवद्धत्तमिदि चे ? वुच्चदे-सरिसीसु च एगकसायपडिबद्धासु
* वे जैसे। $ १८२. यह वचन सुगम है।
* सत्प्ररूपणा, द्रव्यप्रमाण, क्षेत्रप्रमाण, स्पर्शन, काल, अन्तर, भागाभाग और अल्पबहुत्व ।
६ १८३. इस प्रकार ये आठ अनुयोगद्वार इस गाथा द्वारा सूचित किये गये हैं यह उक्त कथनका तात्पर्य है। अब इस गाथासूत्रके किस अवयवमें कौनसा अनुयोद्वार प्रतिबद्ध है इस प्रकार इस बातका ज्ञान करानेके लिए आगेका प्रबन्ध कहते हैं
* 'कितने जीव उपयुक्त हैं। इस वचन द्वारा द्रव्यप्रमाणानुगम सूचित किया गया है।
.६ १८४. गाथाके इस प्रथम पादमें द्रव्यप्रमाणानुगम प्रतिबद्ध है यह उक्त कथनका तात्पर्य है, क्योंकि 'क्रोधादि कषायोंमें उपयुक्त हुए जीव कितने हैं इस पृच्छा द्वारा यहॉपर उक्त गाथावचन प्रतिबद्ध देखा जाता है।
___ * 'सदृश कषायोपयोगवर्गणाओंमें इस वचन द्वारा कालानुगम सूचित किया गया है।
१८५. गाथासूत्रके इस दूसरे पादमें कालानुगम निबद्ध है यह उक्त कथनका तात्पर्य है।
शंका-इसमें कालानुगमका निबद्धपना कैसे है ? समाधान–'सरिसीसुच' अर्थात् एक कषायसे सम्बन्ध रखनेवाली 'वग्गणाकसाएसु'
१ ता०प्रती भणिदं इति पाठः ।