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गाथा ६६]
चउत्थगाहासुत्तस्स अत्थपरूवणा जहण्णकसायुदयट्ठाणस्सेक्कस्स चेव गहणादो। वग्गणाविसेसो असंखेजगुणो। को गुणगारो ? असंखेजा लोगा । वग्गणाओ विसेसाहियाओ, जहण्णवग्गणाए वि एत्थंतब्भावदंसणादो । एवं माणादीणं पि वत्तव्वं ।
१३५. परत्थाणे पयदं । सव्वत्थोवाणि माणस्स कसायुदयट्ठाणाणि । कोहस्स कसायुदयट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । मायाए कसायुदयट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । लोभस्स कसायुदयट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । विसेसो पुण सव्वत्थासंखेजा लोगा। एसा ओघेण भावोवजोगवग्गणाणं दुविहप्पाबहुअपरूवणा कया । एत्तो आदेसपरूवणा वि चदुगदिपडिबद्धा एवं चेव णेदव्वा, विसेसाभावादो।
* तदो तदियाए गाहाए विहासा समत्ता ।
११३६. सुगममेदं पयदत्थोवसंहारवकं । एवमेदं समाणिय संपहि चउत्थगाहाए जहावसरपत्तमत्थविहासणं कुणमाणो सुत्तपबंधमुत्तरं भणइ
* चउत्थीए गाहाए विहासा।
६१३७. एत्तो चउत्थीए गाहाए अत्थविहासा अहिकया त्ति वृत्तं होइ । का सा चउत्थी गाहा ति सिस्साहिप्पायं मणेणासंकिय तण्णिद्देसकरणट्ठमाह
* 'एकम्हि दु अणुभागे एक्ककसायम्मि एककालेण । उवजुत्ता का सबसे जघन्य एक ही कषाय उदयस्थानका ग्रहण किया है। उससे वर्गणाविशेष असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? असंख्यात लोकप्रमाण है। उससे वर्गणाऐं विशेष अधिक हैं, क्योंकि जघन्य वर्गणाका भी इसमें अन्तर्भाव देखा जाता है। इसी प्रकार मानादि कषायोंकी अपेक्षा भी उक्त अल्पबहुत्व कहना चाहिए।
$ १३५. परस्थान अल्पबहुत्वका प्रकरण है। मानकषायके कषाय-उदयस्थान सबसे स्तोक हैं। उनसे क्रोधकषायके कषाय उदयस्थान विशेष अधिक हैं । उनसे मायाकषायके कषाय उदयस्थान विशेष अधिक हैं और उनसे लोभकषायके कषाय उदयस्थान विशेष अधिक हैं। विशेषका प्रमाण सर्वत्र असंख्यात लोकप्रमाण है। यह ओघसे भावोपयोग वर्गणाओंके दो प्रकारके अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा की। आगे चारों गतियोंसे सम्बन्ध रखनेवाली आदेशप्ररूपणा भी इसी प्रकार जाननी चाहिए, क्योंकि पूर्वोक्त प्ररूपणासे इसमें कोई अन्तर नहीं है।
* इस प्रकार तीसरी गाथाकी अर्थविभाषा समाप्त हुई।
$ १३६. प्रकृत अर्थका उपसंहार करनेवाला यह वचन सुगम है। इस प्रकार इसको समाप्त कर अब चौथी गाथाके अवसरप्राप्त अर्थका विशेष व्याख्यान करते हुए आगेके सूत्रप्रबन्धको कहते हैं
* अब चौथी गाथाकी अर्थविभाषा अधिकृत है ।
$ १३७. आगे चौथी गाथाकी अर्थविभाषा अधिकार प्राप्त है यह उक्त कथनका तात्पर्य है। वह चौथी गाथा कौनसी है इस प्रकार शिष्योंके अभिप्रायको मनसे सोचकर उसका निर्देश करनेके लिए कहते हैं
* एक कषायसम्बन्धी एक अनुभागमें एक कालमें कौन सी गति उपयुक्त