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गा० ६२ ]
उत्तरपयडिअणुभागउदीरणाए सामित्
$ १४३. सुगमं ।
* खवयस्स समयाहियावलियचरिमसमयसकसायस्स ।
$ १४४. कुदो ? समयाहियावलियचरिमसमयवट्टमाणसुडुमसां पराइयखवगस्स सुहुमकिट्टिसरूवाणुभागोदीरणाए सुट्ठ जहण्णभावोववत्तीदो ।
* इत्थिवेदस्स जहण्णाणुभागउदीरणा कस्स ?
$ १४५. सुगमं ।
* इत्थिवेदखवगस्स समयाहियावलियचरिमसमयसवेदस्स । * पुरिसवेदस्स जहण्णाणुभागउदीरणा कस्स ?
* पुरिसवेदखवगस्स समयाहियावलियचरिमसमयसवेदस्स ।
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* णवुंसयवेदस्स जहण्णाणुभागुदीरणा कस्स ?
* णवुंसयवेदखवयस्स समयाहियावलियचरिमसमयसवेदस्स ।
$ १४६. दाणि सुचाणि सुगमाणि, अप्पप्पणो उदएण खवगसेढिमारूढसमयाहियावलियचरिमसमयसवेदं मोत्तणण्णत्थे देसिमणुभागुदीरणाए जहण्णभावाणुवलद्धीदो ।
$ १४३. यह सूत्र सुगम है ।
* एक समय अधिक आवलिके उदीरणासम्बन्धी अन्तिम समयमें स्थित सकषाय क्षपक जीवके होती है ।
$ १४४. क्योंकि समयाधिक आवलिके उदीरणासम्बन्धी अन्तिम समयमें विद्यमान सूक्ष्मसाम्परायिक क्षपक जीवके सूक्ष्मकृष्टिस्वरूप अनुभाग उदीरणाका अत्यन्त जघन्यपना बन जाता है ।
* स्त्रीवेदकी जघन्य अनुभाग उदीरणा किसके होती है ?
$ १४५. यह सूत्र सुगम है ।
* समयाधिक आवलिके उदीरणाविषयक अन्तिम समयवर्ती सवेदी स्त्रीवेदी क्षपकके होती है ।
* पुरुषवेदकी जघन्य अनुभाग उदीरणा किसके होती है ?
* समयाधिक आवलिके उदीरणाविषयक अन्तिम समयवर्ती सवेदी पुरुषवेदी क्षपकके होती है ।
* नपुंसकवेदकी जघन्य अनुभाग उदीरणा किसके होती है ?
* समयाधिक आवलिके उदीरणाविषयक अन्तिम समयवर्ती सवेदी नपुंसकवेदी क्षपक होती है ।
$ १४६. ये सूत्र सुगम हैं, क्योंकि अपने-अपने उदयसे क्षपकश्र णिपर आरूढ़ हुए समयाधिक आवलिके उदीरणाविषयक अन्तिम समयवर्ती सवेद भावको छोड़कर अन्यत्र इनकी उदीरणाका जघन्यपना नहीं उपलब्ध होता ।