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१३२ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ वेदगो ७ $ ३६१. कुदो ? देसघादिविट्ठाणियसरूवत्तादो । * रदीए जहण्णाणुभागुदीरणा अणंतगुणा । * दुगु छाए जहण्णाणुभागुदीरणा अणंतगुणा । * भयस्स जहण्णाणुभागुदीरणा अणंतगुणा । * सोगस्स जहण्णाणुभागुदीरणा अणंतगुणा । * अरदीए जहण्णाणुभागुदीरणा अणंतगुणा ।
३६२. एदाणि सुत्ताणि सुगमाणि, बहुसो परूविदकारणत्तादो। * णवुसयवेदे जहण्णाणुभागुदीरणा अणंतगुणा । ६३६३. एत्थ वि कारणोवण्णासो सुगमो, असई परूविदत्तादो । * संजलणस्स जहण्णाणुभागउदीरणा अण्णदरा अणंतगुणा ।
$ ३६४. कुदो ? देसघादिविट्ठाणियत्ताविसेसे सामित्तविसयभेदाभावे च कसायाणुभागमाहप्पेण पुग्विल्लादो एदिस्से अणंतगुणत्तसिद्धीए णिब्बाहमुवलंभादो ।
* अपच्चक्खाणावरणजहण्णाणुभागुदीरणा अण्णदरा अणंतगुणा।
$३६५. किं कारणं ? सामित्तभेदाभावे वि सव्वघादिमाहप्पेण पुग्विल्लादो एदिस्से तहाभावोवलद्धीदो ।
$३६१. क्योंकि वह देशघाति द्विस्थानीयस्वरूप है। * उससे रतिकी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है। * उससे जुगप्साकी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है। * उससे भयकी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगणी है। * उससे शोककी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगणी है । * उससे अरतिकी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है । $ ३६२. ये सूत्र सुगम हैं, क्योंकि इनके कारणोंका बहुतबार प्ररूपण किया है। * उससे नपुंसकवेदकी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है ।
$ ३६३. यहाँ पर भी कारणका उपन्यास सुगम है, क्योंकि उसका कथन अनेक बार कर आये हैं।
* उससे संज्वलनोंकी अन्यतर जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है । .$ ३६४. क्योंकि देशघाति द्विस्थानीय पनेकी अपेक्षा विशेषता न होनेपर और स्वामित्वकी अपेक्षा विषयमें भेदका अभाव होने पर कषायोंके अनुभागके माहात्म्यवश पूर्वकी अपेक्षा इसके अनन्तगुणेपनेकी सिद्धि निर्बाधरूपसे पाई जाती है। ___ * उससे अप्रत्याख्यानावरण कर्मोंकी अन्यतर जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है।
$३६५. क्योंकि स्वामित्वविषयक भेदका अभाव होनेपर भी सर्वघातिपनेके माहात्म्यवश पूर्वकी अपेक्षा इसकी अनन्तगुणे अनुभाग उदीरणारूपसे उपलब्धि होती है।