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________________ १३० जयधवलासहिदे कसायपाहुडे * दुगु छाए जहण्णाणुभागुदीरणा अनंतगुणा । * भये जहण्णाणुभागुदीरणा अनंतगुणा । * सोगस्स जहण्णाणुभागुदीरणा अनंतगुणा । * अरदीए जहण्णाणुभागुदीरणा अनंतगुणा । ६ ३५३. दाणि सुत्ताणि सुगमाणि, पुव्वं परूविदकारणत्तादो । [ वेदगो ७ * पच्चक्खाणावरणजहण्णाणुभागुदीरणा अण्णदरा अनंतगुणा । $ ३५४. तं जहा — छण्णोकसायाणमणुभागुदीरणा अपुव्वकरणपरिणामेहिं बहुअं घादं पावेण चरिमसमयापुव्वकरणविसोहीए देसघादिसरूवेण जहण्णभावं पत्ता । पञ्चक्खाणावरणीयाणं पुण अपुव्वकरणविसोहीदो अनंतगुणहीण संजदासंजदचरिमविसोहीए जहण्णसामित्तं जादं । सव्वघादिसरूवा च एदेसिं जहण्णाणुभागुदीरणा तदो गुणा जादा । * अपच्चक्खाणावरणजहण्णाणुभागुदीरणा अण्णदरा अनंतगुणा । ९३५५. कुदो ? संजमाहिमुहचरिमसमयअसंजदसम्माइट्ठिविसोहीए पुव्विलविसोही दो अनंतगुणहीणसरुवाए पत्तजहण्णभावत्तादो । * सम्मामिच्छत्तस्स जहण्णाणुभागुदीरणा अनंतगुणा । * उससे जुगुप्साकी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है । * उससे भयकी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है । * उससे शोककी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है । * उससे अरतिकी जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है । $ ३५३. ये सूत्र सुगम हैं, क्योंकि पहले कारणका निर्देश कर आये हैं । * उससे प्रत्याख्यानावरणकी अन्यतर जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है । $ ३५४. यथा—छह नोकषायोंकी अनुभाग उदीरणा अपूर्वकरणसम्बन्धी परिणामोंके द्वारा बहुत घातको प्राप्त होकर अपूर्वकरणकी अन्तिम समयवर्ती विशुद्धि द्वारा देशघातिरूपसे जघन्यनेको प्राप्त हुई है । किन्तु प्रत्याख्यानावरणीय कर्मोंका तो अपूर्वकरणकी विशुद्धिसे अनन्तगुणी होन संयतासंयतकी अन्तिम विशुद्धिसे जघन्य स्वामित्व प्राप्त हुआ है, इसलिए इनकी सर्वघातिस्वरूप जघन्य अनुभाग उदीरणा छह नोकषायोंकी जघन्य अनुभाग उदीरणासे अनन्तगुणी प्राप्त होती है । * उससे अप्रत्याख्यानावरणकी अन्यतर जघन्य अनुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है । $ ३५५. क्योंकि पूर्व की विशुद्धिसे संयम के अभिमुख हुए अन्तिम समयवर्ती असंयत सम्यग्दृष्टिकी विशुद्धिद्वारा इन प्रकृतियोंका जघन्यपना प्राप्त होता है । * उससे सम्यग्मिथ्यात्वकी जघन्य अणुभाग उदीरणा अनन्तगुणी है ।
SR No.090223
Book TitleKasaypahudam Part 11
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages408
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size14 MB
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