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तुलनात्मक विशेषताओंका उल्लेख मूल प्रकृति प्रदेश उदीरणाका स्पष्टीकरण करते समय कर आये हैं उनको यहां भी जान लेना चाहिए । इसी तथ्यको आगे कोष्ठक द्वारा स्पष्ट किया जाता है
प्रकृति
उत्कृष्ट अनु० उदो० का स्वामी जघन्य प्रदेश उदोरणाका स्वामी मिथ्यात्व उत्कृष्ट संक्लिष्ट संज्ञी पर्याप्त मिथ्यादृष्टि । उत्कृष्ट संक्लिष्ट या ईषत मध्यमरिणाम
वाला संज्ञी मिथ्यादृष्टि १६ कषाय स्त्री-पुरुषवेद
सर्व संक्लिष्ट ८ वर्षका ऊँट । । नपुंसकवेद, अरति ।
सर्व संक्लिष्ट सातवें नरकका नारकी शोक, भय, जुगुप्सा हास्य, रति
सर्व संक्लिष्ट शतार-सहस्रार कल्पका देव ।। सर्व संक्लिष्ट मिथ्यात्वके अभिमुख हुआ |
सर्व संक्लिष्ट या ईषत् मध्यमपरिणामसम्यक्त्व अन्तिम समयवर्ती असंयत सम्यग्दष्टि। वाला मिथ्यात्वके अभिमुख हुआ अन्तिम
समयवर्ती सम्यग्दृष्टि । सम्यग्मिथ्यात्व सर्व संक्लिष्ट मिथ्यात्वके अभिमुख हुआ | सर्व संक्लिष्ट या ईषत् मध्यम परिणामअन्तिम समयवर्ती सम्यग्मिथ्यादृष्टि। | वाला मिथ्यात्वके अभिमुख हुमा अन्तिम
। समयवर्ती सम्यग्मिथ्यादष्टि । यह मोहनीयकी सब प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणा और जघन्य प्रदेश उदीरणाकेस्वामीका ज्ञान करानेवाला कोष्ठक है। इससे स्पष्ट ज्ञात होता है कि जो मोहनीयकी सब प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणा करता है प्रायः वही उनको जघन्य प्रदेश उदीरणा करता है। यहाँ यद्यपि नो नोकषायोंकी उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणाके स्वामी अलग-अलग जीवोंको बतलाया है किन्तु ऐसा भेद उनकी जघन्य प्रदेश उदीरणाके स्वामियोंमें दृष्टिगोचर नहीं होता, पर इससे उक्त सामान्य नियमको स्वीकार करनेमें इसलिए अन्तर नहीं पड़ता, कारण कि जिनके स्त्रीवेद आदि नोकषायोंकी उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणा होती है उनके भी उन नोकषायोंकी जघन्य प्रदेश उदीरणा हो सकती है । इतना अवश्य है कि स्त्रीवेद आदि नोकषायोंकी जघन्य प्रदेश उदीरणा सर्व संक्लिष्ट या ईषत् मध्यम परिणामवाले संज्ञी मिथ्यादृष्टि अन्य जीवोंके भी हो सकती है । एक विशेषता तो यह है और दूसरो विशेषता यह है कि सब प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणा सर्व संक्लिष्ट परिणाम वालेके हो होती है। जब कि जघन्य प्रदेश उदीरणा सर्व संक्लिष्ट परिणामवालेके होकर भी ईषत् मध्यम परिणामवालेके भी होती है।
यह तो मोहनीयको सब प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट अनुभाग उदीरणा और जघन्य प्रदेश उदीरणाके अधिकारी प्रायः कैसे समान हैं इसका विचार है। अब मोहनीयको जघन्य अनुभाग उदीरणा और उत्कृष्ट प्रदेश उदोरणाके अधिकारी एक कैसे हैं इसका ज्ञान करानेके लिए दूसरा कोष्ठक देते हैंप्रकृति
ज० अनु० उदीरणाका स्वामी उ० प्रदेश उदी० का स्वामी। मिथ्यात्व
संयमके अभिमुख हुआ अन्तिम समय- संयमके अभिमुख हुआ अन्तिम समय
वर्ती सर्वविशुद्ध मिथ्यादृष्टि। वर्ती मिथ्यादृष्टि । सम्यक्त्व
जिसके दर्शनमोहनीयकी क्षपणामें एक | जिसके दर्शनमोहनीयकी क्षपणामें एक समय अधिक एक आवलिकाल शेष है | समय अधिक एक आवलिकाल शेष है वह।
वह। सम्यग्मिथ्यात्व । सम्यक्त्वके अभिमुख हुआ अन्तिम समय- | सम्यक्त्वके अभिमुख हुआ अन्तिम समय
| वर्ती सर्वविशुद्ध सम्यग्मिथ्यादृष्टि । वर्ती सर्वविशुद्ध सम्यग्मिथ्यादृष्टि ।