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________________ ७० जयधवलासहिदे कसायपाहुडे www. [ वेदगो ७ $ १३२. अहियारसंभालणपरमेदं सुतं । ॐ सव्वजीवा दसरहं एवरह मट्टहं सत्तयहं दण्डं पंचहं हं पियमा पवेसगा | ३ १३३. एदेसि ठाणाणं पवेसगा खाणाजीवा नियमा अस्थि र तेसिं पवाहो वोदितत्तं होइ | मोह मुस्लि मार्ग १३४. किं कारणं ? उवसम- खवगसेढिपडियद्वाणमंदेसिं निरंतर भावागुवलं भादो । एवमषेण भंगविचयो समत्तो ! ६ १३५. आदेसेण णेरड्य० सव्वाणाणि णियमा अस्थि । एवं पढमाए । विदियादि जाव सत्तमा चि दस० णव० अ० सत्त० यिमा श्रत्थि सिया एदे च हमुदीगो च । सिया एदे च दण्डमुदीरगा च ३ । तिरिक्ख पंचिदियतिरिक्खतियदस० णव० [अ०] सत्त ० ० यि० यत्थि, सिया एदे च पंचउदीरगो च । सिया एदे च पंचउदीरगा च ३ | पंचि०तिरि० अपज ० १०, ९, ८ यि० अस्थि । मसतिए ओवं । मसपज सव्वाणाणि भयणिजाणि | मंगा दव्वीस २६ । १३२. यह सूत्र अधिकार की सम्हाल करनेवाला है । * दस, नौ, आठ, सात, वह पाँच और चार प्रकृतियों के प्रवेशक सब जीव नियमसे हैं । ७ १३३. इन स्थानोंके प्रवेशक नाना जीव नियमसे हैं। उनके प्रवाहका व्युच्छेद नहीं होता यह उक्त कथनका तात्पर्य है । * दो और एक प्रकृतिके प्रवेशक जीव भजनीय हैं । $ १३४. क्योंकि उपशमश्रेणि और क्षपकश्रेणिसे सम्बन्ध रखनेवाले इन जीवोंका निरन्तर सद्भाव नहीं पाया जाता । इस प्रकार से भंगविचय समाप्त हुआ । १३५. आदेश से नारकियों में सब स्थान नियमसे हैं। इसी प्रकार पहली पृथिवीमें जानना चाहिए। दूसरी से लेकर सातवीं तक के नारकियोंमें दस, नौ, आठ और सात प्रकृतियों के प्रवेशक जीव नियमसे हैं। कदाचित ये हैं और बह प्रकृतियोंका उदीश्क एक जीव है । कदाचित् ये हैं और छह प्रकृतियोंके उदीरक नाना जीव हैं ३ । तिर्यञ्च और पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चत्रिक इस, नौ, आठ, सात और छह प्रकृतियों के उदीरक जीव नियमसे हैं १ । कदाचित् ये हैं और पाँच प्रकृतियोंका उदीरक एक जीव है २ । कदाचित ये हैं और पाँच प्रकृतियोंके उदीरक नाना जीव हैं ३ । पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च पर्यातको १०६ और ८ प्रकृतियों के उदीरक जीव नियमसे हैं । मनुष्यत्रिक के समान भंग है । मनुष्य अपर्यातकों में सब स्थान भजनीय हैं। भंग छब्बीस 14
SR No.090222
Book TitleKasaypahudam Part 10
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherMantri Sahitya Vibhag Mathura
Publication Year1967
Total Pages407
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size13 MB
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