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________________ २६१ उपसरपयडिविदिउदीरणाए परिमारणं सम्म०-सम्मामि० इस्थि-पुरिस० उक्क० अणुक० केत्ति ० १ संखेज्जा । मणुसपज्जामणुसिणी-सबढदेवेसु सधपय० उक० अणुक्क० केत्ति ? संखेज्जा । आणदादि जाव अपराजिदा ति सव्वफ्य० उक० केत्ति ? संखेज्जा । अणुक० केत्ति ? असंखेजा । एवं जाव० । ५६५२. जहण्णए पयदं । दुविहो णि--श्रोघेण आदेसेण य । श्रोघेण मिच्छ०-चदुगोक०, जह, द्विदिउदी० केत्ति ? असंखेजा। अजह० द्विदिउदी० केत्ति. अणंता । णवूम-चदुसंजल० जह. विदिउदी० केत्ति० १ संखेजा। अजह केत्ति ? अतीक सम्मान विधये लिलागतहको पहिसिलदी० केतिया ? संखेजा । अजह० असंखेजा। सम्मामि० जह० अजह० केत्ति ? असंखेजा । बारसक०भय-दुगुंछा० जह० अजह• हिदिउदी० केत्ति ? अणंता । ६५३. आदेसेण णेरड्य० सवपय० जह० अजह. केत्ति ? असंखेजा । णवरि सम्म० जह• केत्ति ? संखेजा। एवं पढ़माए । विदियादि जाव छडि ति दंगणतिय० जह० अजह० असंखेजा । सेसपयडी जह० केनिया ? संखेओ । अजह. के ? असंखेजा । सत्तमाए सन्त्रपय. जह० अजह. असंखेजा। सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। मनुष्य पर्याप्त, मनुयिनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें सब प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट .और अनुत्कृष्ट स्थितिके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। श्रानतकल्पसे लेकर अपराजित विमानतकफे देवोंमें सब प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट स्थितिके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात है। इसीप्रकार अनाहारक मार्गणातक जानना चाहिए। ६६५२. जघन्यका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-श्रोध और भादेश। ओघसे मिथ्यात्व और चार मोकषायकी जघन्य स्थितिके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात है । अजघन्य स्थिति के नदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। नपुसकवेद और चार संज्वलनकी जघन्य स्थितिके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात है। अजवन्य स्थितिके उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। सम्यक्त्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी जघन्य स्थिति के उदीरक जीव कितने हैं। संख्यात हैं। अजयन्य स्थितिके उदीरक जीव असंख्यात हैं। सम्यग्मिध्यात्वकी जघन्य और अजघन्य स्थिति के उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । बारह कषाय, भय और जुगुप्साकी जघन्य और मजघन्य स्थितिके उदीरक जीव कितने हैं. १ अनन्त हैं। ५.६५३. प्रादेशसे नारकियों में सब प्रकृतियोंकी जघन्य और अजधन्य स्थिति के उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। इतनी विशेषता है कि सम्यक्त्वकी जघन्य स्थितिके उदीरक जोक कितने हैं ? संख्यात हैं। इसीप्रकार प्रथम पृथिवीमें जानना चाहिए। दूसरीसे लेकर छटी पृथिवी तक नारकियों में तीन दर्शनमोहनीयकी जघन्य और अजघन्य स्थितिके उदीरक जीव असंख्यात है। शेष प्रकृतियोंकी जयन्य स्थितिके उदीरक जीव कितने है ? संख्यात । । अजवन्य स्थिति के उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। सातवीं पृथिवीके नारकियोंमें सब १, श्रा०प्रती असंखेन्जा इति पाठः ।
SR No.090222
Book TitleKasaypahudam Part 10
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherMantri Sahitya Vibhag Mathura
Publication Year1967
Total Pages407
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size13 MB
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