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२६८ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[वेदगो ७ कोडाकोडीयो पलिदो० असंखे भागेण ऊणाओ।
५७१. सम्म० उक्क द्विदिउदी० वारसक० छष्णोक. सिया उदी० । जदि उदी० णियमा अणुकस्सा अंतोमुहत्तणमादि, कादण जाव पलिदो० असंखे०भागेणूया मार्गदर्त। एवं समामि सुविधाता
६५७२. अणताणु-कोध० उक्क० विदिउदो० मिच्छ० तिण्हं कोहाणं णियमा उदी०, उक्क० अणुक । उकस्सादो अणुक्कस्सा समगुणमादि कादण जार पलिदो० असंखे०भागेणूणा | रणवणोक० जहा मिच्छत्तण गीदं तहा रणेद्ध्वं । एवं पण्णारसकसाय० ।
६५७३. इस्थिवेद० उक० विदिमुदी० मिच्छ० पिप० उदी. णिय. अणुकस्सा समयूणमादि कादूण जाब पलिदो० असंखे०भागेणूणा ति । सोलसक० सिया उदी० । णिय० अणुक० समयूणमादि कादण जाव आवलियणा ति । हस्स-रदि० सिया उदी० । जदि उदी० उक्क० अणुक्क० वा । उक्क • अणु० समयूणमादि कादूण जाय अंतोकोडाकोडि ति । अरदि-सोग० सिया उदी । जदि उदी० उक्क० अणुक० वा । उक्कस्सादो अणुक्कस्सा समयणमादि कादण जाव वीसं सागगे० कोडाकोडीनो पलिदो० असंख्यातवाँ भाग कम बीस कोदाकड़ी सागरप्रमाण अनुत्कृष्ट स्थितिका उदीरक होता है ।।
५७१, सम्यक्त्वको उत्कृष्ट स्थितिका उदीरक जीव बारह कपाय और छह नोकषायका कदाचित् नदीरक होता है। यदि जदीरक होता है तो नियमसे अन्तमुहूर्त कमसे लेकर पल्यके.' असंख्यातवें भाग का तक अनुत्कृष्ट स्थितिका उदीरक होता है । इसीप्रकार सम्यग्मिथ्यात्वको उत्कृष्ट स्थितिके उदीरकका विवक्षित कर सन्निकर्प जानना चाहिए।
१५७२. अनन्तानुबन्धी क्रोधी उत्कृष्ट स्थितिका उदीरक जीव मिथ्यात्व और तीन क्रोधका नियमसे उदारक होता है जो उत्कृष्ट या अनुत्कृष्ट स्थितिका उदारक होवा है । यदि अनुत्कृष्ट स्थितिका उदीरक होता है तो उत्कृष्टकी अपेक्षा एक समय कमसे लेकर पल्यके असंख्यातवें भाग कम तककी अनुत्कृष्ट स्थितिका उदीरफ होता है। नौ नोकपायोंका सन्निकर्ष जैसे मिथ्यात्वके साथ ले गये हैं वैसे ले जाना चाहिए। इसीप्रकार पन्द्रह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थिति के उदीरककी मुख्यतासे सन्निकर्ष जानना चाहिए।
५७३. स्त्रीधेदकी उत्कृष्ट स्थितिका उदीरक जीव मिथ्यात्वका नियमसे उदीरक होता है जो नियमसे उत्कृष्ट की अपेक्षा एक समय कमसे लेकर पल्यका असंख्यातवाँ भाग कम तककी अनुत्कृष्ट स्थितिका उदीरक होता है। सोलह कषायोंका कदाचित् उदीरक होता है। यदि उदीरक होता है तो नियमसे उत्कृष्टकी अपेक्षा एक समय कमसे लेकर एक पावलि कम तककी अनुत्कृष्ट स्थितिका उदीरक होता है । हास्य और रतिका कदाचित् जहीरक होता है । यदि उदीरक होता है तो उत्कृष्ट या अनुत्कृष्ट स्थितिका उदीरक होता है । यदि अनुत्कृष्ट स्थितिका । उदीरक होता है तो उत्कृष्ट की अपेक्षा एक समय कमसे लेकर अन्त:कोडाकोडी तकको अनुत्कृष्ट . स्थितिका उदीरक होता है । अति और शोकका कदाचित् उदीरक होता है । यदि नदीरक होता है तो उत्कृष्ट या अनुत्कृष्ट स्थितिका उदीरक होता है। यदि अनुत्कृष्ट स्थितिका उदीरक होता है तो उत्कृष्ट की अपेक्षा एक समय कमसे लेकर पल्यका असंख्यातवाँ भाग कम पीस कोड़ाकाड़ी