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________________ २६४ अयधवलासहिदे कसायपाहुढे [वेदगो ७ उक० अणतकालमसंखे. पो० । अज० जह० एयस०, उक० अरणनकालमसंखेजा पोग्गलपस्थिट्टा । एवं हस्स-रदि-अरदि-सोग० । णवरि अज. जह० एयस० उक० अंतोमु० । एवं गवुस । पवार अज० जह० एयस०, उक० पुत्रकोडिपुधत्तं | १५६३. पंचिंदियतिरिक्खतिए मिच्छ. जह० ट्ठिदिउदी० जह० पलिदो० असंखे०भागो, उक्क० समद्विदी देसूरणा । अज. जह. अंतोमु०, उक्क० तिएिण पलिदो० देमृणाणि । एवं सम्मामि०। णवरि अज० जह० अंतोमु०, उक्क० सगहिदी । एवं सम्म | णवरि जह० णस्थि अंतरं । अणताणु ०४ जह० द्विदिउदी० णस्थि अंतरं । अज० जह० एयस०, उक्क० तिरिण पलिदो० देसूणाणि । अपच्चक्खाण०४ जह० णत्थि अंतरं | अज. जह० एयम०, उक० पुचकोडी देसूरणा । अट्ठक-बण्णोक. जहद्विदिउदी णस्थि अंतरं | अज० जह० एपम०, उक्क. अंतीमु० । तिराहं वेदाणं जह० द्विदिउदी० एथि अंतरं | अज० जह० एयस०, उक्क. पुव्यकोडिषुधत्तं । रणवरि पञ्ज० इस्थिवे. एस्थि । जोणिणी० पुरिसवे- । ITHIH. राण है। काल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है और उत्कृष्ट अन्तरकाल अनन्तकाल है जो . असंख्यात पुद्गल परिवर्तनप्रमाण है। अजघन्य स्थितिउदीरणाका जघन्यू अकाल पहाराज .. समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल अनन्त काल हजी "अंसव्यति' पुद्गलपरिवर्तनप्रमाण है। इसीप्रकार हास्य, रति, अरति भौर शोकके विषयमें जान लेना चाहिए । इतनी विशेषता है . कि इनकी अजघन्य स्थिति उदीरणाका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर. काल अन्तर्मुहूर्त है। इसी प्रकार नपुसावेदके विषयमं जान लेना चाहिए। इतनी विशेषता - है कि इनकी अजघन्य स्थितिउदीरणाका जघन्य अन्तरकाल एक समय है, और उत्कृष्ट अन्तरकाल पूर्वकोटिपृथक्त्वप्रमाण है। १५६३. पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चत्रिकमें मिथ्यात्वकी जघन्य स्थिति उदीरणाका जघन्य अन्तरकाल पल्यके असंख्यान भागप्रमास है और उत्कृष्ट अन्तरक.ल कुछ कम अपनी स्थितिप्रमाण है। अजघन्य स्थिति उदीरणाका जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम तीन पल्य है। इसी प्रकार सम्बग्मिथ्यात्वके विषय में जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि अजघन्य स्थितिउदीरणाका जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तरकाल अपनी स्थितिप्रमाण है। इसीप्रकार सम्यमत्वके विषय में जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इसकी जघन्य स्थितिउदीरणाका अन्तरफाल नहीं है। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी जघन्य स्थिति दीरपाका अन्तरकाल नहीं है। अजघन्य स्थितिउदीरणाका जघन्य अन्तरकाल एक समय है. और उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम सीन पल्य है। अप्रत्याख्यानावरणचतुष्ककी जघन्य स्थिति उदीरणाका अन्तरकाल नहीं है। अजघन्य स्थिति दीरणाका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कष्ट अन्तरकाल कुछ कम एक पूर्वकोदि है। आठ कषाय और छह नोकपायकी जघन्य स्थितिउदीरणाका अन्तरकाल नहीं है। अजघन्य स्थिति उदीरणाका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है। तीन वेदोंकी जघन्य स्थिति उदीरणाका अन्तरकाल नहीं है। अजयन्य स्थिनिउदीरणाका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल पूर्वकोटिवृथक्त्वप्रमाण है। इतनी विशेषता है कि पर्याप्तकोंमें
SR No.090222
Book TitleKasaypahudam Part 10
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherMantri Sahitya Vibhag Mathura
Publication Year1967
Total Pages407
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size13 MB
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