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जयधवलासहिदे कसाय पाहुडे
[ वेदगो ७
६ ३६४. श्रदादि जाव णवगेवज्जा त्ति सव्वत्थोवा २२ प० । २५ पत्रे ० असंखेज्जगुणा । २७ पवेसगा असंखेज्जगुणा । २६ पवेसगा असंखेज्जगुणा । २१ यसमा असंखेज्जगुणा । २४ पवेसमा संखेज्जगुणा' । २८ पर्व ० संखेज्जगुणाः । अणुद्दिसादि सव्वा ति सव्वत्थोवा २२ पवे० । २१ पवे० असंखेज्जगुणा । २४ पवे० संखेज्जगुणाः | २८ पवे० संखेज्जगुणा । वरि सब्बड़े संखेज्जगुणं कायध्वं । एवं जान० ।
एवमयाब हुए समत्ते पयडिट्ठापवेसस्स सत्तारस अणियोगद्दाराणि समत्ताणि $ ३६५. संहि एत्थेव भुजगारादिपरूवणदुमुवरिमं सुसकलावमाह-* भुजगारो कायव्वो ।
* पदविकायच्वो ।
* चड्डी वि कायव्वा ।
३ ३६६. तं जहा -- भुजगारपवेसगे त्ति तत्थ इमाणि तेरस अणियोगद्दाराणि समुक्कित्ता जाव श्रध्याबहुए ति । समुक्कित्तणाणु० दुविहो णि० श्रोषेण श्रादेश्री असंग एवं मणुस
सेण य । श्रोषेण श्रत्थि
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३६४. आनत कल्पसे लेकर नौवेयक तकके देषों में २२ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे २५ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे २७ प्रकृतियो के प्रवेशक जी असंख्यात हैं। उनसे २६ प्रकृतियों के प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे २१ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे २४ प्रकृतियों के प्रवेशक जीव संख्यातगुणे हैं । उनसे २८ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव संख्यातगुणे हैं। अनुदिशसे लेकर सर्वार्थसिद्धितक के देवों में २२ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे २१ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव संख्यातगुऐ हैं। उनसे २४ प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे ८ प्रकृतियों के प्रवेशक जब संख्यातगुणे हैं । किन्तु इतनी विशेषता है कि सर्वार्थसिद्धि में असंख्य तगुणे के स्थान में संख्यातगुणा करना चाहिए। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए ।
इस प्रकार अल्पबहुत्व के समाप्त होनेपर प्रकृतिस्थान प्रवेशक के सत्रह अनुयोगद्वार समाप्त हुए ।
७३५. अब यहाँ पर भुजगारादिका कथन करने के लिए आगे के सूत्रकलापको कहते हैं-* भुजगार करना चाहिए ।
* पदनिक्षेप करना चाहिए ।
* वृद्धि करनी चाहिए ।
6 ३६६. यथा - भुजगार प्रवेशकका अधिकार है। उसमें समुत्कीर्तनासे लेकर अलहुन सक ये तेरह अनुयोगद्वार होते हैं। समुत्कीर्तनानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका हैं-ओ और प्रदेश । श्रोत्रसे भुजगार, अल्पतर, अवस्थित और अवक्तव्यनवेशक जीव हैं |
१. ता० प्रती अखेज्जगुखा इति पाठ: । २. ताज्जगुग्गा इति पाठः । ३. ता० प्रती असंखेज्जगुणा इति गाठ: । ४ ता प्रती प्रसंजगुरण छवि एकः ।