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________________ १०२ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे वेदगो ७ उदीरेदि तस्स उक्क० बड्डी । तस्सेव से काले उक्क० अवठ्ठाणं । उक्क० हाणी कस्स ? अण्णद० णव उदीरे० चत्तारि उदीरेदि तस्स उक्क ० हाणी । अणुदिसादि सम्बट्ठा त्ति उक्क० अड्डी कस्स ? अण्णद० जो छ उदीरे णव उदीरेदि तस्स उक्क० वड्डी । उक्क० हाणी कस्स ? अण्णद० णव उदीरे० छ उदीरेदि तस्स उक्क० हाणी। एगदरस्थमवट्ठाणं । एवं जाव। २२८. जहणणे मयदं । दृविहो णि० -- ओघे० आदेसे० । ओघेण जह० बड्डी कस्स ? अण्णद० णव उदीरे० दस उदीरेदि तस्स जह० वडी | जहः हाणी कस्स ? अण्णद० दस उदीरे० रणव उदीरेदि तस्स जह० हाणी । एगदरस्थ अवट्ठाणं | एवं चदुसु गदीसु | णरि अणुदिसादि सबट्ठा त्ति जह० वड्डी कस्स ? अण्णद० अट्ठ उदीरे० गाव उदीरेदि तस्स जह० वटी । जह० हाणी कस्स ? अण्णद० रणव उदीरे. अट्ठ उदीरेदि तस्स जह० हाणी | एगदरस्थ अवठ्ठाणं । एवं जाव० । २२९. अप्पाबहुअाहि-जहाचाकी किस्स पयद । विहाँ णि०श्रोषे० आदेसे० । ओघेण सन्मत्थोवा उक० हाणी । चड्डी अवठ्ठाणं च दो त्रि सरिसाणि विसेसा० । एवं चदुसु गदीसु । शवरि पंचिंतिरिक्षअपञ्ज०-मणुसअपज०अन्यतर जीव दसकी उदारणा करता है उसके उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसीके तदनन्तर समयमें उत्कृष्ट अवस्थान होता है। उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? नौकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यतर जीव चा उदीरणा करता है उसके उत्कृष्ट हानि होती है। अनुदिशसे लेकर । सर्वार्थसिद्धि तक्रके२ . उत्कृष्ट वृशि किसके होती है ! छहकी उदीरणा करनेवाला जो .. अन्यतर जीव नौकी उदीरणा करता है उसके उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उत्कृष्ट हानि किसके होती है १ नौकी उदारणा करनेवाला जो अन्यतर जीव छहकी उदीरणा करता है उसके उत्कृष्ट हानि होती है। किसी एक जगह उत्कृष्ट अवस्थान होता है। इसीप्रकार अनाहारक मार्गरणातक जानना चाहिए । २२८. जघन्यका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है--ओघ और आदेश । श्रोधसे जघन्य वृद्धि किसके होती है ? नौकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यत्तर जीव दसकी उदीरणा करता है, उसके जघन्य वृद्धि होती है। जघन्य हानि किसके होती है ? दसकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यतर जीव नौकी उदारणा करता है, उसके जघन्य हानि होती है। किसी एक जगह जघन्य अवस्थान होता है। इसीप्रकार चारों गतियोंमें जानना चाहिए । किन्तु इतनी विशेषता है कि अनुदिशसे लेकर सर्वार्थसिद्धि तकके देवोंमें जघन्य वृद्धि किसके होती है ? आठकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यतर जीव नौकी उदीरणा करता है उसके जघन्य वृद्धि होती है। जघन्य हानि किसके होती है ? नौकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यतर जीव पाठकी उदीरणा करता है, उसके जघन्य हानि होती है। किसी एक जगह जघन्य अवस्थान होता है। इसीप्रकार अनाहारक मार्गणातफ जानना चाहिए। ६२२६. अल्पबहुत्व दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्ट का प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। श्रोघसे उत्कृष्ट हानि सबसे स्तोक है। उत्कृष्ट वृद्धि और अवस्थान दोनों समान होकर विशेष अधिक है। इसीप्रकार चारों गतियों में जानना
SR No.090222
Book TitleKasaypahudam Part 10
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherMantri Sahitya Vibhag Mathura
Publication Year1967
Total Pages407
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size13 MB
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