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जयधवला सहिदे कसायपाहुडे
[ बंधगो ६
८३३. संपहि सेसमग्गणाणं देसामा सियभावेण इंदियमग्गणावयत्रभूदेह दिएसु पयदप्पाबहुअगवेसणट्ट मुवरिमसुत्तपबंधमाह
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* एइदिएसु सव्वत्थोवाणि अपच्चक्खाणमाणे पदेससंकमट्ठाणाणि । * कोहे पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ।
* मायाए प्रदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ।
* लोहे पदेससंक मट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । * पच्चक्खाणमाणे पदेससंक मट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । * कोहे पदेससंक मट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । * मायाए पवेससंक मट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । * लोभे पदेससंकमट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । ताणुबंधिमाणे पदेससंकमद्वाणाणि विसेस हिय. णि । * कोहे पदेससंक मट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । * मायाए पदेससंक मट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ।
* लोहे पदेससंकमट्ठा णि विसेस हिग्र थि ।
* हस्से पदेससंकमट्ठाणाणि असंखेज्जगुणाणि ।
§ ८३३. अब शेप मार्गणाओंके दशामर्पकभाव से इन्द्रिय मार्गणा के अवयवभूत एकेन्द्रियोंमें प्रकृत अल्पबहुत्वकी गवेषणा करने के लिए आागेके सूत्रप्रबन्धको कहते हैं
* एकेन्द्रियों में अप्रत्याख्यान मानमें प्रदेशसंक्रमस्थान सबसे थोड़े हैं ।
* उनसे क्रोध में प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं ।
* उनसे मायामें प्रदेश संक्रमस्थान विशेष अधिक हैं ।
* उनसे लोभमें प्रदेश संक्रमस्थान विशेष अधिक हैं ।
* उनसे प्रत्याख्यान मानमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं ।
* उनसे क्रोध में प्रदेशसंकमस्थान विशेष अधिक हैं ।
* उनसे माया में प्रदेश संक्रमस्थान विशेष अधिक हैं ।
* उनसे लोभमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं ।
* उनसे अनन्तानुबन्धा मानमें प्रदेशसक्रमस्थान विशेष अधिक हैं * उनसे क्रोधमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं ।
* उनसे मायामें प्रदेश संक्रमस्थान विशेष अधिक हैं ।
* उनसे लोभमें प्रदेशसंक्रमस्थान विशेष अधिक हैं । * उनसे हास्यमें प्रदेशसंक्रमस्थान असंख्यातगुणे हैं । १. ता० प्रतौ० संखेज्जगुणाणि इति पाठः ।