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गा०५८]
उत्तरपयडिपदेससंकमे भुजगारो ५८३. कुदो ? संखेजसमयसंचिदेइंदियरासिस्स पहाणीमावेणेत्थविवक्खिय त्तादो।
® अप्पयरसंकामया असंखेजगुणा । $ ५८४. किं कारणं ! पलिदोवमासंखेजभागमेत्तप्पयरकालसंचयावलंबणादो। * भुजगारसंकामया संखेजगुणा । ५८५. कुदो? धुवबंधीणमप्पयरकालादो भुजगारकालस्स संखेजगुणत्तोवएसादो। * इत्थिवेदहस्सरदीणं सव्वत्थोवा प्रवत्तव्यसंकामया।
६५८६. संखेजोवसामयजीवविसयत्तेण पयदावत्तव्वसंकामयाणं थोवभावसिद्धीए विरोहाभावादो।
® भुजगारसंकामया अणंतगुणा । $ ५८७. कुदो ? अंतोमुहुत्तमेससगबंधकालसंचिदेइंदियरासिस्स गहणादो।
अप्पयरसंकामया संखेजगुणा । $ ५८८. कुदो १ सगबंधकालादो संखेजगुणपडिवक्खबंधगद्धाए संचिदरासिस्स गहणादो।
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६५८३. क्योंकि संख्यात समयके भीतर सञ्चित हुई एकेन्द्रिय जीव राशिप्रधानरूपसे यहाँ पर विवक्षित है।
* उनसे अल्पतर संक्रामक जीव असंख्यातगुणे हैं।
६५८४. क्योंकि पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण अल्पतर कालके भीतर हुए सञ्चयका यहाँ पर अवलम्बन लिया गया है।
* उनसे भुजगारसंक्रामक जीव संख्यातगुणे हैं।
६५८५. क्योंकि ध्रुवबन्धी प्रकृतियोंके अल्पतर कालसे भुजगारकालके संख्यातगुणे होनेका उपदेश है।
* स्त्रीवेद, हास्य और रतिके अवक्तव्यसंक्रामक जीव सबसे स्तोक हैं।
६५८६. क्योंकि संख्यात उपशामक जीवोंके सम्बन्धसे प्रकृत अवक्तव्यसंक्रामक जीवोंके स्तोकपनेके सिद्ध होनेमें कोई विरोध नहीं आता। ___ * उनसे भुजगारसंक्रामक जीव अनन्तगुणे हैं।
६५८७. क्योंकि अन्तर्मुहूर्तप्रमाण अपने बन्धकालके भीतर सश्चित हुई एकेन्द्रिय जीव राशिको यहाँ पर ग्रहण किया है।
* उनसे अल्पतर संक्रामक जीव संख्यातगुणे हैं।
६५८८. क्योंकि अपने बन्धकालसे संख्यातगुणे प्रतिपक्ष बन्धक कालके भीतर सञ्चित हुई जीवरा शिको यहाँ पर ग्रहण किया है।