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________________ २७६ गा०५८] उत्तरपयडिपदेससंकमे अप्पाबहुश्र ६२५३. कुदो १ णवंसयवेदजहण्णसामियस्से वित्थिवेदजहण्णसामियस्स तिसु पलिदोवमेसु परिब्भमणाभावादो। ॐ सोगे जहएणपदेससंकमो असंखेजगुणो। ६ २५४. कुदो? इत्थिवेदजहण्णसामियस्सेव पयदजहण्णसामियस्स बेछावट्टिसागरोत्रमाणमपरिब्भमणादो। अरदीए जहण्णपदेससंकमो विसेसाहिओ। . ६ २५५. कुदो ? पयडिविसेसेणेव सव्वकालमेदेसिमण्णोणं पेक्खिऊण सव्वत्थ विसेसहीणाहियभावेणावट्ठाणदंसणादो । * कोहसंजलणे जहएणपदेससंकमो असंखेज्जगुणो . ( २५६. कुदो ? विज्झादभागहारोवह्रिददिवड्डगुणहाणिमेत्तेइन्दियसमयपबद्धेहितो अधापवत्तभागहारो वट्टिदपंचिंदिय समयपबद्धस्सासंखेज्जगुणत्तुवलंभादो । ॐ माणसंजलणे जहएणपदेससंकमो विसेसाहिओ। . ६ २५७. किं कारणं १ कोहसंजलणदव्वमेयसमयपद्धस्स चउब्भागमेत्तं । माणसंजलणदव्वं पुण तत्तिभागमेत्तं, तेण विसेसाहियं जाद।। * पुरिसवेदे जहएणपदेससंकमो विसेसाहिओ। २५८. कुदो ? समयपबद्धदुभागपमाणत्तादो। ६२५३. क्योंकि नपुंसकवेदके स्वामीके समान स्त्रीवेदका स्वामी तीन पल्यके भीतर परिभ्रमण नहीं करता। * उससे शोकका जघन्य प्रदेशसंक्रम असंख्यातगुणा है। ६२५४. क्योंकि स्त्रीवेदके जघन्य स्वामीके समान प्रकृत जघन्य स्वामी दो छयासठ सागर कालके भीतर परिभ्रमण नहीं करता। * उससे अरतिका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। ६२५५. क्योंकि प्रकृतिविशेषके कारण ही सर्वदा इनका एक दूसरेको देखते हुए सर्वत्र विशेषहीन अधिक रूपसे अवस्थान देखा जाता है। * उससे क्रोधसंज्वलनका जघन्य प्रदेशसंक्रम असंख्यातगुणा है । ६२५६. क्योंकि विध्यातभागहारसे भाजित डेढ़गुणहानिमात्र एकेन्द्रिय सम्बन्धी समयप्रबद्धोंसे अधःप्रवृत्तभागहारसे भाजित पञ्चे न्द्रियसम्बन्धी समयप्रबद्ध असंख्यातगुणे उपलब्ध होते हैं। * उससे मानसंज्वलनका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। ६२५७. क्योंकि क्रोधसंज्वलनका द्रव्य एक समय प्रबद्धके चौथे भागप्रमाण है। परन्तु मानसंज्वलनका द्रव्य उसके तृतीय भागप्रमाण है, इसलिए यह उससे विशेष अधिक है। * उससे पुरुषवेदका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। ६२५८. क्योंकि यह समयप्रबद्धके द्वितीय भागप्रमाण है।
SR No.090221
Book TitleKasaypahudam Part 09
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size19 MB
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