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गा०५८]
उत्तरपयडिपदेससंकमे अप्पाबहुश्र ६२५३. कुदो १ णवंसयवेदजहण्णसामियस्से वित्थिवेदजहण्णसामियस्स तिसु पलिदोवमेसु परिब्भमणाभावादो।
ॐ सोगे जहएणपदेससंकमो असंखेजगुणो।
६ २५४. कुदो? इत्थिवेदजहण्णसामियस्सेव पयदजहण्णसामियस्स बेछावट्टिसागरोत्रमाणमपरिब्भमणादो।
अरदीए जहण्णपदेससंकमो विसेसाहिओ। . ६ २५५. कुदो ? पयडिविसेसेणेव सव्वकालमेदेसिमण्णोणं पेक्खिऊण सव्वत्थ विसेसहीणाहियभावेणावट्ठाणदंसणादो ।
* कोहसंजलणे जहएणपदेससंकमो असंखेज्जगुणो .
( २५६. कुदो ? विज्झादभागहारोवह्रिददिवड्डगुणहाणिमेत्तेइन्दियसमयपबद्धेहितो अधापवत्तभागहारो वट्टिदपंचिंदिय समयपबद्धस्सासंखेज्जगुणत्तुवलंभादो ।
ॐ माणसंजलणे जहएणपदेससंकमो विसेसाहिओ। . ६ २५७. किं कारणं १ कोहसंजलणदव्वमेयसमयपद्धस्स चउब्भागमेत्तं । माणसंजलणदव्वं पुण तत्तिभागमेत्तं, तेण विसेसाहियं जाद।।
* पुरिसवेदे जहएणपदेससंकमो विसेसाहिओ। २५८. कुदो ? समयपबद्धदुभागपमाणत्तादो।
६२५३. क्योंकि नपुंसकवेदके स्वामीके समान स्त्रीवेदका स्वामी तीन पल्यके भीतर परिभ्रमण नहीं करता।
* उससे शोकका जघन्य प्रदेशसंक्रम असंख्यातगुणा है।
६२५४. क्योंकि स्त्रीवेदके जघन्य स्वामीके समान प्रकृत जघन्य स्वामी दो छयासठ सागर कालके भीतर परिभ्रमण नहीं करता।
* उससे अरतिका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है।
६२५५. क्योंकि प्रकृतिविशेषके कारण ही सर्वदा इनका एक दूसरेको देखते हुए सर्वत्र विशेषहीन अधिक रूपसे अवस्थान देखा जाता है।
* उससे क्रोधसंज्वलनका जघन्य प्रदेशसंक्रम असंख्यातगुणा है ।
६२५६. क्योंकि विध्यातभागहारसे भाजित डेढ़गुणहानिमात्र एकेन्द्रिय सम्बन्धी समयप्रबद्धोंसे अधःप्रवृत्तभागहारसे भाजित पञ्चे न्द्रियसम्बन्धी समयप्रबद्ध असंख्यातगुणे उपलब्ध होते हैं।
* उससे मानसंज्वलनका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है।
६२५७. क्योंकि क्रोधसंज्वलनका द्रव्य एक समय प्रबद्धके चौथे भागप्रमाण है। परन्तु मानसंज्वलनका द्रव्य उसके तृतीय भागप्रमाण है, इसलिए यह उससे विशेष अधिक है।
* उससे पुरुषवेदका जघन्य प्रदेशसंक्रम विशेष अधिक है। ६२५८. क्योंकि यह समयप्रबद्धके द्वितीय भागप्रमाण है।