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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[बंधगो ६ ६२. एतो एयजीवेण विसेसिओ कालो विहासिययो ति अहियारसंभालणवयणमेदं।
8 सव्वेसि कम्माणं जहण्णुकस्सपदेससंकमो केवचिरं कालादो होदि ? ६३. सुगमं । ॐ जहण्णुकस्सेण एयसमझो।
६६४. कुदो ? सव्वेसि कम्माणं जहण्णुक्कस्सपदेससंकमाणमेयसमयादो उपरिमवट्ठाणासंभवादो। संपहि एदेण सुत्तेण सूचिदत्थविवरणमुच्चारणं वत्तइस्सामो । तं जहाकालो दुविहो-जह० उक्क० । उक्स्से पयदं । दुविहो णि०-ओघे० आदेसे० । ओघेण मिच्छ० उक्क० पदे०संक० के० १ जहण्गक० एयस० । अणुक्क० जह• अंतोमु०, उक्क० छावहिसागरोवमाणि सादिरे । सम्मा० उक० पदेस०संका० जहण्णुक्क० एयस० । अणुक्क० जह० अंतोमु०, उक्क० पलिदो० असंखे०भागो। सम्मामि० उक्क० पदे०संका० जहण्णुक्क० एयस० । अणु० जह० अंतोमु०, उक० बेच्छावहिसागरो० सादिरे । सोलसक०-णवणोक० उक्क० पदे०संका० केव० ? जहण्णक० एयस० । अणुक्क० तिण्णि भंगा । जो सो सादिओ सपजवसिदो जह• अंतोमु०, उक्क० उबड्डपोग्गलपरियट्ट।
६६२. आगे एक जीबकी अपेक्षा कालका व्याख्यान करते हैं इस प्रकार यह अधिकारकी सम्हाल करनेवाला वचन है।
* सब कर्मों के जघन्य और उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रमका कितना काल है ? ६६३. यह सूत्र सुगम है।
* जधन्य और उत्कृष्ट काल एक समय है।
६६४. क्योंकि सब कर्मोंके जघन्य और उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रमोंका एक समयसे अधिक काल तक अवस्थान पाया जाना असम्भव है। अब इस सूत्रके द्वारा सूचित होनेवाले अर्थके विवरण
प उच्चारणाको बतलाते हैं। यथा-काल दो प्रकारका है, जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्टका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। ओघसे मिथ्यात्वके उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रामकका कितना काल है ? जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय है। अनुत्कृष्ट प्रदेशसंक्रामकका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल साधिक छयासठ सागरप्रमाण है । सम्यक्त्वके उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रामकका जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय है । अनुत्कृष्ट प्रदेशसंक्रामकका जघन्य काल अन्तर्मुहुर्त है और उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है । सम्यग्मिथ्यात्वके उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रामकका जघन्य और उत्कृष्ट काल एक समय है । अनुत्कृष्ट प्रदेशसंक्रामकका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल साधिक दो छयासठ सागरप्रमाण है । सोलह कषाय और नौ नोकषायोंके उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रामकका कितना काल है ? जघन्य
और उत्कृष्ट काल एक समय है । अनुत्कृष्ट प्रदेशसंक्रामकके तीन भङ्ग हैं। उनमेंसे जो सादि-सान्त भङ्ग है उसकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तमुहूर्त है और उत्कृष्ट काल उपाधं पुद्गलपरिवर्तनप्रमाण हैं।