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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ बंधगो ६
मिच्छामो त्ति अंतोमुहुत्तोत्रविदुकङ्कणभागहारपदुप्पण्णगुणसंकमभागहारो खविदकम्मंसियकम्मट्ठिदिसंचयस्स भागहारतेण ठवेयव्वो । एदं धेत्तण वेछावट्टिसागरोमाणि सागरोवमधत्तमेत्तकालं च अट्ठिदिगलगाए गालिदं ति तक्कालब्धंतरणाणागुणहाणिसला गाणमगोणत्थरासी एदस्स भागहारभावेण ठवेयव्वो । पुणो दीहुव्येल्लणकालपञ्जसाणे उलणसंकमेण सामित्तं जादमिदि उब्वेल्लणकालब्भंतरणाणागुणहाणिसला गाणमण्णोष्णभत्थरासी उल्लभागहारो च एदस्स भागहारतेण ठवेयव्त्रो । एवं ठविदे पयदसामित्तविसकयजहण्णदव्यमुपज्जदि त्ति घेत्तव्त्रं ।
* अणंताणुबंधीणं जहण्णओ पदेससंकमो कस्स ?
९ ७१. सुगमं ।
* एइंदियकम्मेण जहणएण तसेसु आगदो, संजमं संजमासंजमं च बहुसो लडू चत्तारि वारे कसाए उवसामित्ता तदो एइंदिएसु पलिदोवमस्स असंखे० भागमच्छिदो जाव उवसामयसमयपवडा णिग्गलिदा त्ति । तदो पुणो तसेसु गदो, सव्वलहुं सम्मत्तं लडं, अणंताणुबंधिणो च विसंजोइदा, पुणो मिच्छत्तं गंतूण अंतोमुहुत्त संजोएदूण पुणो तेण सम्मत्तं
प्रतिभागकी इच्छा से अन्तर्मुहूर्तसे भाजित श्रपकर्षण- उत्कर्षण भागहारसे गुणित गुणसंक्रमभागहारको क्षपितकर्मशिकक कर्मस्थितिक भीतर सन्चित हुए सञ्चयके भागहाररूपसे स्थापित करना चाहिए । पुनः इसे प्राकर दो छयासठ सागर और सागरपृथक्त्व कालके भीतर अधः स्थितिगलनाके द्वारा द्रव्य गलित हुआ है, इसलिए उस कालके भीतर नाना गुणहा निशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्त राशिको इसके भागहाररूपसे स्थापित करना चाहिए । पुनः दीर्घ उद्वेलना कालके अन्त में उद्वेलना संक्रमके द्वारा स्वामित्व उत्पन्न हुआ है, इसलिए उद्वेलना कालके भीतर प्राप्त हुईं नाना गुहा निशलाकाओं की अन्योन्याभ्यस्तराशिको और उद्वेलनाभागहारको उसके भागहाररूपसे स्थापित करना चाहिए। इस प्रकार स्थापित करनेपर प्रकृत स्वामित्वके विषयभावको प्राप्त हुआ जन्य द्रव्य उत्पन्न होता है ऐसा यहाँ पर ग्रहण करना चाहिए ।
* अनन्तानुबन्धियोंका जघन्य प्रदेशसंक्रम किसके होता है ?
९ ७१. यह सूत्र सुगम है ।
* जो एकेन्द्रियसम्बन्धी सत्कर्मके साथ सोंमें आया । वहाँ पर संयम और संयमासंयमको अनेक बार प्राप्तकर और चार बार कपायोंका उपशम कर अनन्तर एकेन्द्रियोंमें तावत्प्रमाण पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण कालतक रहा जब तक उपशामकसम्बन्धी समयप्रत्रद्धोंको गलाया । अनन्तर पुनः त्रसोंमें आया तथा अतिशीघ्र सम्यक्त्वको प्राप्त कर अनन्तानुबन्धियोंकी विसंयोजना की । पुनः मिथ्यात्वमें जाकर और अन्तर्मुहुर्त काल तक संयुक्त होकर पुनः उसने सम्यक्त्वको प्राप्त किया । अनन्तर दो छ्यासठ सागर काल