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सिरिंजइवसहाइरियविरइय-चुण्णिमुत्तसमणिदं
सिरि-भवंतगुणहरभडारओवइटें क सा य पा हु डं
तस्स
सिरि-वीरसेणाइरियविरइया टीका
जयधवला
तत्थ
बंधगो णाम छट्ठो अत्याहियारो
पणमिय मोक्खपदेसं पदेससंकंतिविरहियं सवगयं । पयडिय धम्मुवएसं वोच्छामि पदेससंकमं णीसंकं ॥
प्रदेशके संक्रमणसे रहित और सर्वग मोक्षप्रदेशको अर्थात्, सिद्धपरमेष्ठीको प्रणाम करके धर्मोपदेशको प्रकट करते हुए निःशंक होकर प्रदेशसंक्रम अधिकारको कहता हूँ ॥१॥