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गा०५८] उत्तरपयडिअणुभागसंकमे भुजगारसंकमस्स सामित्त
६३३६. एत्थ वक्खाणाइरिएहिं समुकित्तणा कायव्वा । तं जहा-समुकित्तणाणुगमेण दुविहो णिद्देसो-ओघेणादेसेण य । ओघो विहत्तिभंगो । णवरि बारसक०-णवणोक० अत्थि अवत्तासंकमो वि । एवं मणुसतिए। आदेसेण सव्वणेरइय०-सव्वतिरिक्ख-मणुअपज०सबदेवा त्ति विहत्तिभंगो । एवं समुकित्तणा गया ।
* मिच्छत्तस्स भुजगारसंकामगो को होइ ?
६ ३४०. किं मिच्छाइट्ठी सम्माइट्ठी देवो णेरइओ वा इच्चादिविसेसावेक्खमेदं पुच्छासुत्तं ।
मिच्छाइट्ठो अपणदरो। ६ ३४१. एत्थ मिच्छाइद्विणिदेसेण सम्माइटिषडिसेहो कओ। अण्णदरणिद्देसो चउगइगयमिच्छाइट्ठिगहणट्ठो ओगाहणादिविसेसपडिसेहट्ठो च। तदो मिच्छाइट्ठी चेव मिच्छत्ताणुभागस्स भुजगारसंकामओ त्ति सिद्धं ।
ॐ अप्पदर-अवहिदसंकामो को होइ ?
६३३६. अब यहाँ पर व्याख्यानाचार्यो को समुत्कीर्तना करनी चाहिए। यथा-समुत्कीर्तनानुगमसे निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। ओघ प्ररूपणाका भङ्ग अनुभागविभक्तिके समान है। इतनी विशेषता है कि बारह कषाय और नौ नोकषायोंका अवक्तव्यसंक्रम भी है। इसी प्रकार मनुष्यत्रिकमें जानना चाहिए। आदेशसे सब नारकी, सब तिर्यश्च, मनुष्य अपर्याप्त और सब देवोंमें अनुभागविभक्तिके समान भङ्ग है।।
विशेषार्थ-अनुभागविभक्तिमें सत्कर्मकी अपेक्षा जिस प्रकार ओघ और आदेशसे समुत्कीर्तनाका कथन किया है उसी प्रकार वह सब कथन यहाँ भी बन जाता है । मात्र उपशमश्रेणिमें बारह कषायों और नौ नोकषायोंका उपशम हो जानेके बाद जब तक ऐसा जीव उतरकर पुनः नीचे नहीं आता या मरकर देव नहीं होता तब तक संक्रम नहीं होता। उसके वाद संक्रम होने लगता है, इसलिए यहाँ पर ओघसे इन प्रकृतियोंके अवक्तव्यसंक्रमका निर्देश अलगसे किया है। साथ ही यह संक्रम मनुष्यत्रिकमें बन जानेसे यहाँ पर इसे भी अलगसे बतलाया है । शेष कथन स्पष्ट ही है ।
इस प्रकार समुत्कीर्तना समाप्त हुई। * मिथ्यात्वका भुजगार संक्रामक कौन होता है ?
६ ३४०. मिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि, देव या नारकी इनमेंसे कौन होता है इत्यादि विशेषकी अपेक्षा रखनेवाला यह सूत्र है।
* अन्यतर मिथ्यादृष्टि होता है।
६३४१. यहाँ पर 'मिथ्यादृष्टि' पदके निर्देश द्वारा सम्यग्दृष्टिका निषेध किया है। चारों गतियोंके मिथ्यादृष्टिके ग्रहण करनेके लिए तथा अवगाहना आदि विशेषका निषेध करनेके लिए 'अन्यतर' पदका निर्देश किया है। इसलिए मिथ्यादृष्टि ही मिथ्यात्वके अनुभागका भुजगारसंक्रामक होता है यह सिद्ध हुआ।
* अल्पतर और अवस्थितसंक्रामक कौन होता है ? १३